Chandauli Panchayat Election : सत्ता पक्ष के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद पाने की राह नहीं आसान

जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है। सत्ताधारी दल ने इसी उम्मीद में इस बार पिछड़ा वर्ग के कई उम्मीदवारों की घोषणा की थी। पूर्व जिलाध्यक्ष समेत कई दिग्गज भी मैदान में उतरे थे। हालांकि जनता ने उन्हें नकार दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:11 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 05:11 PM (IST)
Chandauli Panchayat Election : सत्ता पक्ष के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद पाने की राह नहीं आसान
अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित जिले के सबसे बड़े पद पर सत्ता पक्ष की राह आसान नहीं है।

चंदौली, जेएनएन। अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित जिले के सबसे बड़े पद पर सत्ता पक्ष की राह आसान नहीं है। भाजपा से अधिकृत पिछड़ा वर्ग के सिर्फ एक ही प्रत्याशी की जीत हुई है। जिला पंचायत के लिए मंसूबा पाले भाजपा के कई दिग्गजों को जनता ने नकार दिया। ऐसे में कुर्सी पाने के लिए पार्टी को अब बागियों पर ही दाव लगाना होगा। वैसे लड़ाई आसान नहीं होगी, क्योंकि जिले की 35 में आठ सेक्टरों में ही भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार जीते हैं।

जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है। सत्ताधारी दल ने इसी उम्मीद में इस बार पिछड़ा वर्ग के कई उम्मीदवारों की घोषणा की थी। पूर्व जिलाध्यक्ष समेत कई दिग्गज भी मैदान में उतरे थे। हालांकि जनता ने उन्हें नकार दिया। एक मुस्लिम उम्मीदवार शायरा बानो को छोड़कर पिछड़ा वर्ग के शेष उम्मीदवार चुनाव हार गए। ऐसे में अध्यक्ष पद का समीकरण गड़बड़ा गया है। पार्टी से टिकट न मिलने पर बागी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले कई प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। पार्टी को यदि कुर्सी पर कब्जा करना होगा तो बागियों पर दाव लगाना होगा। वैसे सबसे अधिक प्रत्याशियों की जीत के साथ जिला पंचायत में समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी लग रहा है।

पार्टी के 14 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। इसके अलावा सपा के दिग्गज नेताओं से जुड़े चार-पांच उम्मीदवार पार्टी से टिकट न मिलने पर बागी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सभी के एकजुट होने की उम्मीद है। ऐसे में अध्यक्ष की कुर्सी की रेस में साइकिल सबसे आगे दिख रही है। भाजपा यदि निर्दलियों को अपने पाले में कर भी ले तो भी और जोर लगाना पपलड़ा भारी रहेगा। ऐसे में अध्यक्ष की कुर्सी के लिए इस बार जोड़-तोड़ की राजनीति होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

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