चंदौली जिला पंचायत अध्यक्ष : 24 साल में तीसरी बार पुरुषों को मौका, तीन जुलाई को मतदान

चंदौली जिला पंचायत अध्यक्ष जिले के 24 साल के इतिहास में पुरुषों को तीसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा जबकि चार बार महिलाओं को कब्जा रहा। दो महिलाओं ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 29 Jun 2021 09:37 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jun 2021 09:37 PM (IST)
चंदौली जिला पंचायत अध्यक्ष : 24 साल में तीसरी बार पुरुषों को मौका, तीन जुलाई को मतदान
जिले के 24 साल के इतिहास में पुरुषों को तीसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा

चंदौली, जागरण संवाददाता। जिले के 24 साल के इतिहास में पुरुषों को तीसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा, जबकि चार बार महिलाओं को कब्जा रहा। दो महिलाओं ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वहीं दो महिलाएं तीन-तीन साल तक कुर्सी पर काबिज रहीं। दो बार पुरुष को मौका मिला था। इस बार पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है। भाजपा और सपा ने पुरुषों को अपना उम्मीदवार घोषित किया। ऐसे में जीत जिसकी भी हो, पुरुष ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज होंगे। तीन जुलाई को मतदान होगा। इसको लेकर सरगर्मी बढ़ गई है।

वाराणसी से अलग होकर 1997 में चंदौली अलग जिला बना तो सुषमा पटेल पहली जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। 2000 में सपा की पूनम सोनकर चुनाव जीतकर जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। 2005 में सपा की ही अलावती यादव जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं। हालांकि अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। 2009 में बसपा के छत्रबली सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बने। 2010 में चुनाव हुआ तो छत्रबली को दोबारा जिपं अध्यक्ष बनने का मौका मिल गया। 2015 में छत्रबली सिंह की पत्नी सपा उम्मीदवार सरिता सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। ऐसे में अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आधी आबादी हावी रही। इस बार दोनों दलों ने पुरुषों को उम्मीदवार घोषित किया है। अब तीन जुलाई को ही पता चल पाएगा कि जिले के सबसे बड़े पद पर कौन आसीन होगा।

जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सपा का दबदबा

जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अभी तक सपा का दबदबा रहा है। जबकि सत्तारूढ दल भाजपा हमेशा इसमें पीछे रही। सदस्य जीताने के बावजूद अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाने में पिछड़ गई। ऐसे में छह में चार बार सपा और एक बार बसपा का कब्जा रहा है। सत्ता पक्ष इस बार बदलाव की तैयारी में है। इसके लिए जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। भाजपा समर्थित प्रत्याशी के नामांकन के दौरान कलेक्ट्रेट में 22 जिला पंचायत सदस्यों के साथ होने का दावा भी किया गया। वहीं विपक्षी दल के नेता भाजपा पर सदस्यों को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं।

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