Chaitra Navratri 2021 : होली के रंगों से निहाल हुआ गीतों का बाजार, अब नवरात्र से मिलेगी धार

कोरोना काल में कलाकारों का उत्साह कम नहीं था लेकिन कार्यक्रम कम होने के कारण व्यापार पर भारी प्रभाव पड़ा। जिस अनुपात में कार्यक्रम हुआ करते थे पाबंदियों के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम कम हुए। जिनमें राजनीतिज्ञों के चुटकी भी ली गई ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 30 Mar 2021 04:57 PM (IST) Updated:Tue, 30 Mar 2021 04:57 PM (IST)
Chaitra Navratri 2021 : होली के रंगों से निहाल हुआ गीतों का बाजार, अब नवरात्र से मिलेगी धार
अब चैत्र नवरात्र में देवी गीतों सुनेंगे भक्‍त

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना काल में कलाकारों का उत्साह कम नहीं था, लेकिन कार्यक्रम कम होने के कारण व्यापार पर भारी प्रभाव पड़ा। जिस अनुपात में कार्यक्रम हुआ करते थे पाबंदियों के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम कम हुए। पूर्वांचल के कलाकारों ने समसामयिक घटनाओं को मुद्दा बनाकर के बंगाल आसाम के चुनाव को ध्यान में रखते हुए खूब गीत गवनई प्रस्तुत किए। जिनमें राजनीतिज्ञों के चुटकी भी ली गई ।

होली की खुमारी अभी उतरी नहीं की चैत्र नवरात्र भक्ति की बयानर के लिए कलाकार तैयार हो गए हैं। वाराणसी के गीतकार कन्हैया दुबे केडी के लिखे होली गीत खेला होवे खेला होबे... और महंगाई पर भी चुटकी लेते हुए खूब चर्चित हुई। टेलीविजन पर प्रसारित हुए वर्षा फिल्म के निर्देशक एसके सिंह ने सैकड़ों एल्बम की शूटिंग की जो खासा चर्चा में बनी रहे। डॉ विजय कपूर ने अवध में बाजे ला बधाई..., खेले मसाने में होली... डॉक्टर अमलेश शुक्ला ने काशी का फगुआ बड़ा जबरदस्त है चंदन सिंह मधुर गलियां रंगे के बहाने मदन मुरारी यादव ने रंग से कराना फेशियल हंसराज यादव ने अहिराने का होली सहित अनेक होली पारंपरिक गीत बाजार में उतारे हैं जो सोशल मीडिया पर लोगों को प्रभावित कर रहे हैं और अब होली के बाद सभी कलाकार चैत्र नवरात्र पारंपरिक चैती के एल्बम के तैयारी में जुट गए हैं पंडित हरिराम द्विवेदी और जितेंद्र सिंह जीत के भी पारंपरिक गीतों को कलाकारों ने स्वर्ग से सजाया है।

अब वास्तव में हो रहा विंध्यधाम का विकास

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर रविवार को विंध्यधाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मां विंध्यवासिनी के जयकारे से ङ्क्षवध्यधाम गुंजायमान हो उठा। क्या बूढ़े, क्या बच्चे, क्या महिलाएं हर कोई मां के श्रीचरणों में अबीर-गुलाल चढ़ाने को बेताब दिखा और पूजन-अर्चन कर मां का आशीर्वाद लिया।

तरह-तरह के फूलों से किया गया मां विंध्यवासिनी का भव्य श्रृंगार अलौकिक छटा बिखेर रहा था। मां का दर्शन पाकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। घंटा-घडिय़ाल, शंख, नगाड़ा और माता के जयकारे से विंध्यधाम देवीमय हो रहा था। भोर की मंगला आरती के बाद दर्शन-पूजन का दौर शुरू हुआ,जो अनवरत जारी रहा। गलियों में कतारबद्ध श्रद्धालु माता का जयघोष करते आगे बढ़ते जा रहे थे। किसी ने झांकी से तो किसी ने गर्भगृह में पहुंचकर मां के श्रीचरणों में मत्था टेका। मंदिर की छत पर अनुष्ठान-पूजन का भी दौर चलता रहा। गंगा घाटों पर भी स्नान करने के लिए स्नानार्थियों का तांता लगा रहा। माता का दर्शन-पूजन करने के बाद महिलाओं और पुरुषों ने विंध्याचल की गलियों में सजी दुकानों से अपने-अपने जरूरत की वस्तुएं खरीदी। दर्शनार्थियों की भारी भीड़ को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

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