सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी पता लगाएगा की वाराणसी में कौन से वैरिएंट ने मचाई है तबाही

बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के अनुरोध पर सीसीएमबी के निदेशक प्रो. राकेश मिश्रा ने जीनोम सिक्वेंसिंग ने बीएचयू से सैंपल की मांग की है। सीसीएमबी हैदराबाद में जीनोम सिक्वेसिंग के द्वारा कोरोना के विभिन्न घातक स्ट्रेन के बारे में पता लगाया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 08:03 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 08:03 PM (IST)
सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी पता लगाएगा की वाराणसी में कौन से वैरिएंट ने मचाई है तबाही
सीसीएमबी में जीनोम सिक्वेसिंग के द्वारा कोरोना के विभिन्न घातक स्ट्रेन के बारे में पता लगाया जाएगा।

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर बनारस समेत पूर्वांचल भर में कौन-कौन से वैरिएंट्स या स्ट्रेन ( जेनेटिक वैरिएंट) ने तबाही मचाई है, जल्द ही इसका पर्दाफाश होगा। सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद में जीनोम सिक्वेसिंग के द्वारा कोरोना के विभिन्न घातक स्ट्रेन के बारे में पता लगाया जाएगा।

बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के अनुरोध पर सीसीएमबी के निदेशक प्रो. राकेश मिश्रा ने जीनोम सिक्वेंसिंग ने बीएचयू से सैंपल की मांग की है। जिसके बाद प्रो. चौबे ने आइएमएस-बीएचयू के एमआरयू लैब की इंचार्ज प्रो. रॉयना सिंह से संपर्क कर बनारस, बलिया और जौनपुर के सौ सैंपलों का कलेक्शन कर लिया है। पैकेजिंग होने के बाद सोमवार तक सैंपल हैदराबाद पोस्ट कर दिया जाएगा और इसके एक सप्ताह के भीतर परिणाम जारी होने की संभावना जताई जा रही है।

बता दें कि भारत भर में कंसोर्टियम के दस संस्थानों में ही जीनोम सिक्वेंसिंग का कार्य हो रहा है। जबकि पिछले छह माह में महज दस हजार सैंपल पर ही भारत में जीनोम सिक्वेसिंग हुई है। एमआरयू लैब के साथ ही बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट डा. अभिषेक पाठक और युवा वैज्ञानिक प्रज्जवल प्रताप सिंह ने सैंपल इकठ्ठा करने से लेकर उसकी वर्गीकरण करने तक की जिम्मेदारी निभाई है।

नए वैरिएंट्स पर असरकारी है दवाएं व वैक्सीन

सिक्वेंसिंग पर सीसीएमबी के निदेशक डा. राकेश मिश्रा ने बताया कि सैंपल प्राप्त होने के महज चार दिन में ही वैरिएंट्स के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई नया वैरिएंट भी आया होगा, तो घबराने की बात नहीं सामान्य कोरोना की दवाएं और वैक्सीन असरकारी ही होगी। इससे हम भविष्य में और कितने घातक म्युटेशन हो सकते हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं यह भी कहा कि चूंकि बनारस में भी संक्रमण दर काफी उच्च है इसलिए कई तरह के स्ट्रेन होने की संभावना है।

कलेक्शन में कोरोना रोगियों की विविधता का भी खासा ध्यान रखा गया है

इस कलेक्शन में कोरोना रोगियों की विविधता का भी खासा ध्यान रखा गया है। इसमें दस सैंपल ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण हुआ। वहीं, कई ऐसे व्यक्तियों के भी सैंपल हैं जो दोबारा संक्रमित हुए हैं और कुछ नमूने विशेष लक्षण वाले प्रदर्शित करने वाले रोगियों के जुटाए गए हैं।

- प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे, जंतु विज्ञान विभाग, बीएचयू

 जीनोम सिक्वेंसिंग से कोरोना वायरस के जीन में कितने परिवर्तन आये हैं इसका पता लगाया जाता है

जीनोम सिक्वेंसिंग से कोरोना वायरस के जीन में कितने परिवर्तन आये हैं इसका पता लगाया जाता है। इसे वायरस का बायोडाटा भी कहते हैं। यह कार्य भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) करती है, जो कि 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है। इसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2020 को गठित किया था। सीसीएमबी, हैदराबाद इसके अंतर्गत आने वाला इंस्टीट्यूट है। अभी तक कंसोर्टियम ने ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीकी, ब्राजील और अमेरिकन वैरियंट्स का पता लगाया है।

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