नाक के भीतर की कोशिकाएं कोरोना को रोकने में सक्षम, डा. मानवेंद्र सिंह का शोध हुआ प्रकाशित
शरीर के अलग-अलग अंगों पर कोरोना वायरस के आवागमन और कुप्रभाव की जैविक मैपिंग की गई है जिससे यह पता चल सकेगा कि कोरोना का किस अंग पर ज्यादा नुकसान हो रहा है। इससे समय रहते गंभीर रोगियों की पहचान कर उनकी जान बचाई जा सकती है।
वाराणसी, जेएनएन। शरीर के अलग-अलग अंगों पर कोरोना वायरस के आवागमन और कुप्रभाव की जैविक मैपिंग की गई है जिससे यह पता चल सकेगा कि कोरोना का किस अंग पर ज्यादा नुकसान हो रहा है। इससे समय रहते गंभीर रोगियों की पहचान कर उनकी जान बचाई जा सकती है। इस शोध में शरीर की चार लाख एकल कोशिकाओं के आरएनए का विश्लेषण कर कोरोना से प्रभावित अंग के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं के बारे में बताया गया है। दावा है कि दवा बनने के बाद इस शोध की अहमियत और भी बढ़ जाएगी, क्योंकि मानव के कौन-कौन से अंग कोरोना से संक्रमित हैं, मैपिंग से उसका पता लगाकर दवा आसानी से पहुंचाई जा सकती है।
जौनपुर के रहने वाले और बनारस से पढ़े डा. मानवेंद्र सिंह का यह शोध अमेरिका स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सेल-रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है। इस शोध में उनके साथ लुधियाना के डा. विकास बंसल भी शामिल रहे हैं। डा. मानवेंद्र ने बताया कि कहा जाता था कि कोरोना वायरस मुख्यत: श्वांस संबंधी बीमारी है, जबकि नाक के भीतर की कोशिकाएं वायरस को रोकने में सबसे ज्यादा सक्षम हैं। इसी तरह हमारे शरीर के हर अंग में कोरोना को रोकने और प्रवेश में मदद करने वाली प्रोटीन की कोशिकाएं रहती हैं। दरअसल वैक्सीन भी इसीलिए बनाई जा रही है कि इन प्रोटीन पर कोरोना का कब्जा न होने पाए।
छह प्रकार के प्रोटीन हैं प्रवेश द्वार
इस शोध में छह प्रकार के प्रोटीन की चर्चा है जो वायरस के लिए प्रवेश द्वार का काम करती हैं। ये प्रोटीन हैं एलवाई6ई, आइएफआइटीएम3, एएनपीईपी, बीएसजी और एसीई-2।
रक्त में नहीं रुक सकता कोरोना
डा. मानवेंद्र के अनुसार वायरस खाने के रास्ते आंत में, गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा में, किडनी के रास्ते पेशाब में भी पाया गया है। वहीं रक्त में वायरस टिक नहीं सकता, बल्कि एक जगह से दूसरे जगह तक वह रक्त संचार के साथ आवागमन करता रहता है। अच्छी बात यह है कि कोरोना वायरस रक्त कोशिकाओं में अंदर नहीं प्रवेश कर पाता, इसलिए इबोला व एचआइवी की तरह से यह उतना खतरनाक नहीं है।
यूपी कॉलेज से हुई शिक्षा
जौनपुर के डा. मानवेंद्र ने बनारस के उदय प्रताप कॉलेज से ग्रेजुएशन फिर जेएनयू, हैदराबाद और जर्मनी से अपनी पढ़ाई पूरी कर अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में प्रेसिडेंसियल फेलो के पद पर कार्यरत हैं।