डीएचएफएल में रुपया डूबने के बाद संविदाकर्मियों के पीएफ घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग
विभिन्न विभागों में पीएफ घोटाले का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। विभिन्न विभागों में पीएफ घोटाले का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के हजारों कर्मचारियों के अरबों रुपये डीएचएफएल कंपनी में डूबने का हो या बीएचयू के कर्मचारियों का। अब बिजली विभाग में ही संविदाकर्मियों के करीब 100 करोड़ ईपीएफ घोटाले की बात सामने आ रही है। संविदाकर्मियों का गत 12 वर्षो से ईपीएफ मद में की गई कटौती का इंजीनियरों एवं ठेकेदारों की मिलीभगत से हुए घोटाले की जांच अब सीबीआइ से कराने की मांग उठने लगी है।
इन्हीं तमाम मांगों को लेकर विद्युत मजदूर संगठन एवं विद्युत संविदा मजदूर संगठन उप्र के तत्वावधान में कर्मचारियों का दल शुक्रवार को गाजियाबाद रवाना हुआ। संगठन का 72वां वार्षिक सम्मेलन गाजियाबाद में सात दिसंबर को आयोजित होगा। इसमें ऊर्जा मंत्री के सामने कर्मचारी अपनी 18 सूत्रीय मांगें रखेंगे। दल में प्रांतीय उपाध्यक्ष उदय प्रताप सिंह, महामंत्री प्रवीण सिंह, पूर्वाचल अध्यक्ष इंद्रेश राय, पूर्वाचल महामंत्री राहुल कुमार, जोनल अध्यक्ष आरके यादव, डीके पाडेय, उदयभान दुबे, उमेश यादव, राम सकल, विजय नारायण हिटलर, प्रवीण सिंह आदि शामिल हैं।
विद्युत मजदूर संगठन की प्रमुख मागों में कार्यालय सहायक, टीजी-2 तथा समकक्ष को नियुक्ति ग्रेड-पे न्यूनतम 3000, फरवरी 2009 के बाद तीसरा टाईम स्केल पाने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेड-पे 6600, सभी कर्मचारियों की नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता निर्धारित, टीजी-2 को शैक्षिक योग्यता के बजाय वरिष्ठता से जूनियर इंजीनियर के पद पर पदोन्नति करने, 10 नेताओं, 155 संविदा व नियमित कर्मियों पर दर्ज मुकदमा वापस लिए जाने, पुरानी पेंशन सुविधा बहाल करने आदि शामिल हैं।