सोनभद्र में अब सहकारी समितियां पालेंगी भेड़ अौर बकरी, बेचेंगी आरओ का पानी
सब कुछ ठीक रहा तो भेंड़-बकरी पालन से लेकर दुग्ध, कपड़ा व्यवसाय भी होगा। कुछ समितियों पर तो आरओ प्लांट लगाकर पानी बेचने का भी काम अब समितियों से होगा।
सोनभद्र [सुजीत शुक्ल] । अभी तक उर्वरक बेचने व धान-गेहूं की खरीददारी करने वाली साधन सहकारी समितियां नए कलेवर में नजर आएंगी। सब कुछ ठीक रहा तो यहां केवल यहीं चंद काम नहीं होंगे बल्कि भेंड़-बकरी पालन से लेकर दुग्ध, कपड़ा व्यवसाय भी होगा। कुछ समितियों पर तो आरओ प्लांट लगाकर पानी बेचने का भी काम होगा। इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के निर्देशानुसार जिले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। यह सब कुछ अन्नदाताओं की समृद्धि के लिए किया जा रहा है ताकि, आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट से उबारा जा सके।
देश की शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग की रैकिंग में देश के 115 जिलों को एस्पिरेशन डिस्ट्रिक के रूप में चिन्हित किया गया। यानि ये जिले अन्य जिलों से पिछड़े हैं। इसी में सोनभद्र भी शामिल हुआ। इस स्थिति में केंद्र व राज्य सरकार ने जिले को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक से बाहर निकालने के लिए जरूरी कदम बढ़ाए हैं। खास फोकस किसानों को समृद्ध कर उनका विकास करना है। इसी कड़ी में बीते दिनों जिले में आए केंद्रीय राज्य मंत्री हरिदिप पूरी ने अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिया। कहा कि साधन सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में काम हों। शासन की मंशा के अनुसार एनसीडीसी ने जिले की सभी सहकारी समितियों का सर्वे किया और वहां आय बढ़ाने के लिए किए जाने वाले कार्यों का डीपीआर बनाया है। सहकारिता विभाग के मुताबिक जिले की 73 समितियों में से 20 समिति पर गोदाम बनाने का प्रस्ताव है, 15 की मरम्मत और 33 समितियों पर विभिन्न तरह का व्यवसाय कराना प्रस्तावित किया गया है।
समितियों पर होंगे ये व्यवसाय
जिले की साधन सहकारी समितियों पर आरओ प्लांट लगाकर पानी बेचने, गैस एजेंसी, कीटनाशक, कपड़े का व्यवसाय, मिनी कोल्ड स्टोर बनाकर दुग्ध का कारोबार करने की रणनीति बनायी गई है। कुछ समितियों पर भेंड़-बकरी पालन, पशु पालन, मत्स्य पालन, भैंस पालन के भी कार्य कराये जाने हैं। दाल मील, आटा चक्की, स्पेलर आदि से समितियों की आय और उनके माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की तैयारी की गई है। जहां पहले से गोदाम है उसकी मरम्मत कराकर उसमें पशु आहार का व्यवसाय, मिनी राइस मिल, बकरी पालन, माइक्रो एटीम लगाने के कार्य किए जाएंगे। कुछ समितियों पर 100 मीट्रिक टन का गोदाम बनाकर वहां आस-पास के किसानों का टमाटर, मिर्च आदि खरीदकर स्टोर करने और फिर उनकी ग्रेडिंग कराकर मंडी तक पहुंचाने की भी व्यवस्था बनायी गई है।
आज इस पर होगी अहम चर्चा
सहकारिता विभाग के मुताबिक शासन के मंशा के अनुसार कार्य करते हुए साधन सहकारी समितियों पर किए जाने वाले व्यवसाय का डीपीआर बनाया गया है। इस पर सोमवार को विस्तृत चर्चा की जानी है। दिल्ली से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के तीन अधिकारी आ रहे हैं। कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में इसको लेकर बैठक होगी। बनाए गए डीपीआर पर चर्चा करते हुए इसे और बेहतर कैसे किया जाए इसपर भी चर्चा की जाएगी। बैठक में सभी जनप्रतिनिधि, अधिकारी मौजूद रहेंगे।
बोले अधिकारी
साधन सहकारी समितियों की आय बढ़ाकर उस क्षेत्र के किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्द ही परिणाम भी दिखेंगे। समितियों के लिए एनसीडीसी के तहत नये व्यवसाय की कार्ययोजना बनायी गई है। प्रत्येक समिति की अलग-अलग सूची बनायी गई है। - त्रिभुवन नारायण सिंह, सहायक निबंधक- सहकारिता-सोनभद्र।