बलिया के गोआश्रय केंद्र में दम ताेड़ रहे मवेशी, सड़क किनारे सड़ रहे पशुओं के शव
रसड़ा तहसील के ब्लाक चिलकहर में गोपालपुर में छोटा व बछईपुर में बड़ा गोआश्रय केंद्र है। दुर्व्यवस्था का आलम यह है कि बछईपुर केंद्र पर एक पखवारे में दस बछड़ों और दो गायों ने दम तोड़ दिया। इसके बाद भी व्यवस्था दुरुस्त करने की किसी को भी चिंता नहीं है।
बलिया, जागरण संवाददाता। बेसहारा पशुओं को रखने के लिए बने गोआश्रय केंद्र मवेशियों की असमय मौत का कारण बनते जा रहे हैं। बछईपुर गोआश्रय केंद्र पर एक पखवारे में एक दर्जन बछड़ों की मौत हो चुकी है। इनके शवों को नगरा-गड़वार मार्ग के सलेमपुर लकड़ा नाला के किनारे फेंक दिया जा रहा है। इसके चलते आमजन का राह चलना दुश्वार हो गया है। रसड़ा तहसील के ब्लाक चिलकहर में गोपालपुर में छोटा व बछईपुर में बड़ा गोआश्रय केंद्र संचालित है। दुर्व्यवस्था का आलम यह है कि बछईपुर केंद्र पर एक पखवारे में दस बछड़ों और दो गायों ने दम तोड़ दिया। इसके बाद भी व्यवस्था दुरुस्त करने की किसी को भी चिंता नहीं है।
सरकार की ओर से गो आश्रय केंद्रों की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है कि बेसहारा पशु किसानों की फसलों को नुकसान न कर सकें। सड़कों पर ऐसे पशुओं से दुर्घटना न हों, लेकिन जनपद में अभी भी बेसहारा पशुओं की भरमार है। शहर से गांव तक बेसहारा पशु किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं, इसके बावजूद सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि सभी बेसहारा पशुओं को गो आश्रय केंद्रों पर डाल दिया गया है। जनपद में 16 ब्लाकों में ब्लाक स्तरीय और 10 शहरी क्षेत्रों में गो आश्रय केंद्र बनाए गए हैं। इसमें लगभग दो हजार पशुओं को रखा गया है। हालांकि, दूसरी ओर बेसहारा पशुओं से शहर भी खाली नहीं है।
बलिया शहर में भी शहीद पार्क चौक, सब्जी मंडी, स्टेशन परिसर, कदम चौराहा आदि स्थानों पर ये पशु घूमते रहते हैं। वे कभी फल वाले ठेला पर अपना अपना मुंह मारते हैं तो कभी सड़क पर जमा कूड़े के ढ़ेर को विखरते मिल जाते हैं। ऐसे पशुओं पर जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अशोक मिश्र ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। जो दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।