जौनपुर में चौकी इंचार्ज समेत दो के खिलाफ हत्या के प्रयास और छेड़खानी का मुकदमा दर्ज
अधिवक्ता चंद्रशेखर आजाद के माध्यम से प्रार्थना पत्र दिया कि उसका पुत्र सतीश पढ़ने वाला छात्र है। जिला हाथरस में हुए सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या की घटना के विरुद्ध क्षेत्र के तमाम लोग पूर्वांचल पुलिस चौकी के सामने 14 अक्टूबर 2020 को धरना प्रदर्शन कर रहे थे।
जौनपुर, जेएनएन। सरायख्वाजा थाना क्षेत्र निवासी अनुसूचित जाति की वादिनी से छेड़खानी करने, पति व पुत्र पर जानलेवा हमला कर चोट पहुंचाने तथा जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एससी- एसटी कोर्ट के आदेश पर सरायख्वाजा थाने में पूर्वांचल विश्वविद्यालय पुलिस चौकी के चौकी इंचार्ज राजेश कुमार सिंह समेत दो पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई। मामले में 9 फरवरी 2021 को एफआइआर दर्ज करने का आदेश हुआ था, लेकिन पुलिस हीलाहवाली करती रही। पुलिस अधीक्षक को नोटिस तथा थानाध्यक्ष के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के बाद एफआइआर दर्ज हुई।
वादी ने कोर्ट में धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत अधिवक्ता चंद्रशेखर आजाद के माध्यम से प्रार्थना पत्र दिया कि उसका पुत्र सतीश पढ़ने वाला छात्र है। जिला हाथरस में हुए सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या की घटना के विरुद्ध क्षेत्र के तमाम लोग पूर्वांचल पुलिस चौकी के सामने 14 अक्टूबर 2020 को धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उसी समय वादिनी का पुत्र सतीश सामान लेने उसी रास्ते से बाजार जा रहा था। प्रदर्शनकारियों के साथ सतीश व अन्य की फोटो व वीडियो पुलिस द्वारा बनाया गया। 15 अक्टूबर 2020 को शाम 5:00 बजे चौकी इंचार्ज राजेश कुमार सिंह हमराहियों के साथ वादिनी के घर आए और कहे कि तुम्हारा बेटा बहुत बड़ा नेता बनता है। चौकी के सामने प्रदर्शन कर रहा था। जबरन ले जाने लगे। मना करने पर वादिनी व उसके पति को भी पकड़कर पुलिस चौकी ले गए। सतीश को बेरहमी से मारपीट की।
वादिनी को उसके पति बचाने लगे तो जातिसूचक शब्दों से अपमानित किए। वादिनी के साथ छेड़खानी करते हुए अभद्रता की। फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। आरोपितों की पिटाई से सतीश बेहोश हो गया। उसे रह रह कर उल्टी होने लगी। चौकी पर काफी लोग पहुंच गए। जिस पर पुलिसकर्मी और नाराज हो गए तथा वादिनी के पति व पुत्र को धमकाकर सादे कागज पर दस्तखत बनवा लिए। पुत्र का 151 में चालान कर दिया। काफी दिनों तक बेटे का दवा इलाज चला। पुलिस के उच्चाधिकारियों को सूचना देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया गंभीर मामला पाते हुए पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया।