भदोही के कालीन निर्यातक को दुबई से मिला दो मीट्रिक टन भिंडी का आर्डर, 12 को वाराणसी एयरपोर्ट से भेजेंगे
कालीन उद्योग को ठंडा पड़ते देख उद्यमी अब दूसरा रास्ता तलाशने में जुट गए हैं। देश की भिंडी सहित अन्य सब्जी अब विदेश में भी धूम मचाने को तैयार है। दुबई के एक आयातक ने इसके लिए भदोही के कालीन निर्यातक को दो मीट्रिक टन का आर्डर दिया है।
जागरण संवाददाता, भदोही। कालीन उद्योग को ठंडा पड़ते देख उद्यमी अब दूसरा रास्ता तलाशने में जुट गए हैं। देश की भिंडी सहित अन्य सब्जी अब विदेश में भी धूम मचाने को तैयार है। दुबई के एक आयातक ने इसके लिए भदोही के कालीन निर्यातक को दो मीट्रिक टन का आर्डर दिया है। निर्यातक ने 12 अक्टूबर को वाराणसी स्थित एयरपोर्ट से दुबई भेजने की बुकिंग की गई है।इसके लिए पैकिंग कार्य साेमवार तक पूरा कर लिया जाएगा।
वैश्विक महामारी चलते कालीन व्यवसायियों ने कारोबार में बदलाव किया है। कालीन व्यवसाय प्रभावित होने के कारण निर्यातक अब दूसरे व्यवसाय में भी हाथ आजमाने लगे हैं। गोपीगंज (छतमी) निवासी प्रमुख कालीन निर्यातक साश्वत पांडेय (त्रिवेणी कारपेट) ने इसकी पहल करते हुए शासन द्वारा किसानों के लिए संचालित फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन (एफपीओ) के माध्यम से कृषि उत्पादों का निर्यात शुरू किया है। इसके पहले वह आम का निर्यात कर चुके हैं। भिंडी के अलावा सूरन, परवल, कुंदरू सहित अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात की योजना बनाई है। उनका कहना है कि कालीन व्यवसाय अपनी जगह है लेकिन कृषि क्षेत्र में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। एफपीओ के माध्यम से न सिर्फ नए व्यवसाय का सृजन किया जा सकता है बल्कि अपने आस-पास के किसानों को लाभान्वित भी कराया जा सकता है।
लंबे समय से बना रहे थे योजना
कोरोना महामारी के कारण कालीन व्यवसाय पिछले डेढ़ साल से प्रभावित है। कृषक परिवार से होने के कारण काफी दिनों से कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने का विचार था। बताया कि इसी बीच एफपीओ के बारे में पता चला। उन्होंने जनवरी में त्रिसागर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का गठन कर व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। बताया कि दुबई के आयातक ने उन्हें दो मीट्रिक टन का अर्डर दिया है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी से अभी स्थानीय स्तर 80 किसान सदस्य हैं। इसके अलावा मलिहाबाद के 22, रामनगर के 12, प्रयाराज के 24 किसान सदस्य हैं। बताया कि किसानों के घर बैठे बाजार मूल्य से अधिक दाम मिल जाता है। अढ़तिया किसानों का बहुत शोषण करते हैं। इससे किसान अब उनकी कंपनी से अधिक जुड़ रहे हैं।