वाराणसी में पौराणिक मान्यता के तालाबों को साफ करने का अभियान, शंकुलधारा तालाब की हुई सफाई
बुधवार को सृजन सामाजिक संस्था और नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में शंकुलधारा तालाब के सफाई का काम शुरू किया गया। इस दौरान नगर स्वास्थ्य अधिकारी उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी तथा अनिल सिंह ने खुद सफाई करके शुभारंभ किया।
वाराणसी, जेएनएन। गर्मियों की शुरुआत होने के साथ ही तालाबों में काई और जलकुंभी के साथ ही हरित शैवाल की भी मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से पानी के तल तक न तो सूरज की रोशनी पहुंच पाती है और न ही पानी में आक्सीजन की मात्रा ही बढ़ पाती है। इसकी वजह से पानी में मछलियों को पर्याप्त आक्सीजन न मिल पाने की वजह से मछलियों के मरने की घटनाएं भी खूब सामने आती रही हैं। ऐसे में नगर निगम और सामाजिक संस्थाएं मिलकर शहर के तालाबों को साफ कर उनको गंदगी से ही नहीं मुक्त कर रहीं बल्कि मछलियों और जलीय जीवों के लिए भी बेहतर माहौल देने का प्रयास कर रही हैं।
इसी कड़ी में बुधवार को सृजन सामाजिक संस्था और नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में शंकुलधारा तालाब के सफाई का काम शुरू किया गया। इस दौरान नगर स्वास्थ्य अधिकारी, उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी तथा अनिल सिंह ने खुद सफाई करके शुभारंभ किया। इसके बाद नाव से तालाब के ऊपर तैर रही काई और हरित शैवाल को साफ करने का क्रम शुरू किया गया। बताया गया कि अगले कुछ दिनों में पूरे तालाब से गंदगी को साफ कर इसे जलीय जीवों के अनुकूल बनाया जाएगा। इससे पूर्व आशापुर तालाब को भी शैवाल और जलकुंभी से मुक्त किया जा चुका है।
वाराणसी शहर में कई प्राचीन और पौराणिक महत्व के तालाब हैं जहां पर मछलियों के साथ ही कछुओं की भी अच्छी खासी संख्या है। लोग भी इन मछलियों और कछुओं को चारा डालने के लिए आते हैं। मगर तालाब में शैवाल होने के बाद पानी में आक्सीजन की मात्रा न केवल कम होती है बल्कि तलहटी तक सूरज की रोशनी न पहुंचने से जलीय पर्यावास को भी काफी नुकसान पहुंचता है। इसी को देखते हुए शहर की प्रमुख सामाजिक संस्था सृजन की ओर से तालाबों को साफ करने का अभियान चलाया जा रहा है। इससे पूर्व भी शहर के कई प्रमुख तालाबों को साफ किया जा चुका है।