क्यूआर कोड स्कैन करते ही ग्राहक को पता चल जाएगा बनारसी साड़ी का वास्तविक मूल्य और अन्‍य विवरण

हथकरघा आधारित बनारसी साड़ियों की डिजाइन में अब क्यू आर कोड भी रहेगा। इससे करीब दो माह की कड़ी मशक्कत के बाद इस डिजाइन को तैयार किया गया। इस तकनीक के उपयोग से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हैंडलूम वाली बनारसी साड़ियों की मांग बढ़ सकती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:35 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:35 PM (IST)
क्यूआर कोड स्कैन करते ही ग्राहक को पता चल जाएगा बनारसी साड़ी का वास्तविक मूल्य और अन्‍य विवरण
बनारसी साड़ियों की डिजाइन में अब क्यू आर कोड भी रहेगा।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। हथकरघा आधारित बनारसी साड़ियों की डिजाइन में अब क्यू आर कोड भी रहेगा। यानि कि अब स्टीकर और लेबल से मिलने वाली सारी जानकारी आपको धागे से बुने गए डिजाइन में ही मिल जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित इस तकनीक के सहारे ग्राहक साड़ी की गुणवत्ता, ब्रांड और अन्य विशेषताओं को अपने मोबाइल फोन पर ही जान सकता है।

उसे बस फोन से साड़ी में छपे डिजाइन को स्कैन करना है आपके माेबाइल स्क्रीन पर बनारसी साड़ी का पूरा विवरण आ जाएगा। यदि साड़ी पावरलूम की है और दुकानदार हैंडलूम बताकर बेच रहा है तो इससे उसकी असलियत बस एक क्लिक पर जानी जा सकेगी।

आइआइटी-बीएचयू में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एक शोध छात्र एम. कृष्ण प्रसन्ना नाइक ने अपने गाइड प्रोफेसर प्रभाष भारद्वाज के मार्गदर्शन में बनारसी साड़ी पर क्यूआर कोड, लोगो, रेशम चिन्ह और जीआइ टैग भी इनबिल्ट किया है। वहीं बनारस में अंगिका सहकारी समिति के अध्यक्ष अमरेश कुशवाहा और डिजाइनर व शोधार्थी अंगिका ने सबसे पहले अपनी कंपनी से इसकी शुरूआत की है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेगी बनारसी साड़ी का मांग

करीब दो माह की कड़ी मशक्कत के बाद इस डिजाइन को तैयार किया गया। इस दल की योजना है कि

अब बड़ी मात्रा में इस तरह की साड़ियों को तैयार किया जाए, जिससे उपभोक्ताओं तक शुद्ध हैंडलूम ही पहुंचे। इस तकनीक के उपयोग से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हैंडलूम वाली बनारसी साड़ियों की मांग बढ़ सकती है।

प्रोफेसर भारद्वाज ने बताया कि साड़ी किस जगह पर बुनी गई है, वास्तविक मूल्य, इसका निर्माता, बुनाई की तारीख और उसका पूरा विवरण ग्राहक जान पाएंगे। साड़ी में आचल और ब्लाउज के बीच वाली जगह पर ये सारी बुनाई की गई है। वहीं साड़ी पहनते वक्त यह हिस्सा अंदर हो जाता है।

सर्वे के दौरान आया विचार

कृष्णा ने बताया कि बनारस हैंडलूम उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें मार्केटिंग सबसे प्रमुख है। अब यह तकनीक ग्राहकों को आसानी से हथकरघा और पावरलूम साड़ी के बीच अंतर को स्पष्ट कर देगी, जिससे डुप्लीकेसी बंद होगी। वह टेक्सटाइल विषय में ही अपनी पीएचडी कर रहे हैं इसलिए एक सर्वे के दौरान उन्हें इस तरह का विचार आया था।

अमरेश कुशवाहा ने बताया कि साड़ी के सबसे अंतिम हिस्से में करीब सात इंच चौड़े पैच में क्यू आर कोड और अन्य तीन लोगो डिजाइन किए गए हैं। इससे साड़ी के लुक का आकर्षण काफी हद तक बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि उनके पास 200 कुशल कारीगरों की टीम है जो कि अब इस तकनीक पर भी काम करेगी।

अब सुधरेगी बुनकरों की स्थिति

राजस्थान के बनस्थली से टेक्सटाइल डिजाइन में शोध कर रहीं अंगिका कुशवाहा ने बताया कि विभिन्न सर्वे में यह देखा गया है कि बाजार में हैंडलूम की मांग अत्यधिक होने के बावजूद आपूर्ति और बुनकरों का हाल लचर बना हुआ है। ऐसा इसलिए कि ज्यादातर पावरलूम साड़ियों को बाजार में हैंडलूम बताकर बेच दिया जाता और हैंडलूम व्यवसाय का नुकसान होता है।अब इस इनबिल्ट क्यूआर कोड की वजह से यह समस्या रूकेगी और बुनकरों की स्थिति में सुधार आएगा।

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