घोसी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए साजो-सामान के साथ पोलिंग पार्टियां रवाना, रहा मेला सा मंजर Mau news

कर्मचारियों ने आते ही पूर्व से बने टेंट में बूथों के अनुसार ईवीएम वीवीपैट एवं कंट्रोल यूनिट सहित अन्य सामग्री टेंट में रखना प्रारंभ कर दिया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 20 Oct 2019 05:19 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 05:19 PM (IST)
घोसी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए साजो-सामान के साथ पोलिंग पार्टियां रवाना, रहा मेला सा मंजर Mau news
घोसी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए साजो-सामान के साथ पोलिंग पार्टियां रवाना, रहा मेला सा मंजर Mau news

मऊ, जेएनएन। भोजपुरी कवि कैलाश गौतम की कविता अमवसा क मेला की पंक्तियां "एहू हाथसे झोरा, ओहू हाथे झोरा, अ कान्ही पे बोरा, कपारे पे बोरा" नगर से ढाई किमी दूर लेखपाल प्रशिक्षण केंद्र पर रविवार को बेहद सटीक बैठीं। सोमवार को आयाेजित लोकतंत्र के इस मेले को संपन्न कराने को जुटे 2101 मतदान कर्मचारियों एवं इनको ईवीएम एवं अन्य सामग्री देने, इनकी उपस्थिति दर्ज करने और ड्यूटी बताने एवं समस्या हल करने के लिए नियुक्त डेढ़ सौ कर्मचारियाें एवं दर्जनों अधिकारियों की फौज ने मेले का ही मंजर प्रस्तुत किया। चहुंओर गहमागहमी के बीच अरसे बाद मिलने वाले परिचितों से हेलो-हाय करते कर्मचारी इसे मेला का रूप देते रहे। यह अलग बात र्है कि यह मेला खरीदारी का न होकर लोकतंत्र की अहम जिम्मेदारी का रहा।

सुबह छह बजते ही एक-एक कर राजस्व कर्मचारी जुटने लगे तो सात बजे तक जिले के कर्मचारी एवं अधिकारी भी आ गए। कर्मचारियों ने आते ही पूर्व से बने टेंट में बूथों के अनुसार ईवीएम, वीवीपैट एवं कंट्रोल यूनिट सहित अन्य सामग्री टेंट में रखना प्रारंभ कर दिया। आठ बजते ही मतदान कर्मचारियाें की भी़ड़ जुटने लगी। आते ही अपनी पोलिंग पार्टी एवं बूथ संख्या की जानकारी लेने लगे। कुछ के सहयोगी तो मौके पर ही मिल गए जबकि कुछ को इंतजार करना पड़ा। बूथ संख्या के अनुसार बने काउंटर पर एक-एक कर्मचारी ने हस्ताक्षर कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराया। उपस्थिति दर्ज कराने के बाद ईवीएम निर्गत करने हेतु बने काउंटर से पीठासीन अधिकारी को सामग्री दी गई। लेखन सामग्री के लिए अलग से बने काउंटर से सहयोगियों ने सामग्री प्राप्त किया।

समूची सामग्री प्राप्त करने के बाद पीठासीन अधिकारी सहयोगियों संग मतदाता सूची के अनुसार सामग्री की मिलान एवं ईवीएम की चेकिंग करने में जुटे रहे। कोई अलग-अलग बने पंडाल में से किसी एक में दरी पर बैठकर मिलान करने लगा तो कोई दूसरे पंडाल में कुर्सी पर। महिलाओं के पतिदेव भी सहयोग के रूप में पूछताछ करते रहे तो छोटे बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी भी उठाए। कोई मतदाता कर्मचारी अपने पीठासीन अधिकारी के पास नहीं नहीं पहुंचा तो कोई पीठासीन अपने सहयोगियों से संपर्क नहीं कर पाया तो तीन स्थानों पर नियुक्त उद्घोषकों की आवाज माइक पर गूंजने लगती थी, मानो लाेकतंत्र के मेले में कोई खो गया है। कहां पर कौन सी जानकारी मिलेगी जैसे सूचनाएं भी प्रसारित होती रहीं। सड़क से गुजरते राहगीर लोकतंत्र के इस मेले का साक्षात दर्शन करते रहे। 

पार्किंग दूर होने से दिक्कत 

मतदान कर्मचारियों को बूथ तक ले जाने हेतु वाहन पूर्व से निर्धारित था। पोलिंग पार्टी को उनकी वाहन संख्या बताकर रवाना किया जाता रहा। प्रशिक्षण केंद्र के सामने सड़क पर वाहनों के खड़े होने से यातायात प्रभावित होने के कारण इनको दूर पार्क किया गया था। इसके चलते मतदान कर्मी कंधे पर ईवीएम ले जाते दिखे तो महिला पीठासीन अधिकारियों के सहयोगियों या पतिदेव ने यह दायित्व संभाला। मतदान केंद्र पर ही रात में रुकने की अनिवार्यता के चलते स्वयं का सामान एवं कपड़े सहित चुनाव सामग्री संभाल कर ले जाने की परेशानी से हरेक जूझता रहा। सबसे ज्यादा उन महिलाओं को परेशानी रही जिनके गोद में बच्चा रहा। मां के गोद में बच्चा तो पतिदेव के हाथ में ईवीएम या फिर पतिदेव के हाथ में ईवीएम एवं मां की गोद में बच्चा जैसे कई दृश्य नजर आए।

chat bot
आपका साथी