वाराणसी नगर निगम के विकास कार्यों में अब राजस्व आधारित योजनाओं को ही बजट आवंटन

वाराणसी के नगर निगम निधि से विकास कार्यों के लिए शहर के पार्षदों का कोटा निर्धारित होने के बाद शासन ने वित्त आयोग की धनराशि के दुरुपयोग पर लगाम लगाने का मन बनाया है। इसके लिए कड़े नियम बनाए गए हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 08:30 AM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 08:30 AM (IST)
वाराणसी नगर निगम के विकास कार्यों में अब राजस्व आधारित योजनाओं को ही बजट आवंटन
शासन ने आदेशित किया है कि 15वें वित्त आयोग की धनराशि के लिए ऐसी योजनाएं बनाएं जिनसे राजस्व मिले।

वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम निधि से विकास कार्यों के लिए पार्षदों का कोटा निर्धारित होने के बाद शासन ने वित्त आयोग की धनराशि के दुरुपयोग पर लगाम लगाने का मन बनाया है। इसके लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में शासन स्तर से 15वें वित्त आयोग की धनराशि निर्गत करने की तैयारी है। इससे पहले गाइडलाइन सूबे के सभी नगर निगम तक भेजी जा रही है। जिसमें आदेश है कि 15वें वित्त आयोग की धनराशि को सिर्फ राजस्व आधारित विकास योजनाओं के लिए आवंटित किया जाएगा।

शासन स्तर पर यह निर्णय 13वें व 15वें वित्त आयोग में आवंटित राशि को मनमाने ढंग से खर्च करने के बाद लिया गया है। इस आदेश का कड़ाई से पालन करने के लिए वित्त आयोग की धनराशि के आवंटन को लेकर महापौर को प्रदत्त अधिकार में कटौती की जाएगी क्योंकि महापौर पदेन अध्यक्ष होते हैं। इस कारण पार्षदों के प्रभाव में आकर राजनीतिक समीकरण साधने वाले जनहित से जुड़े विकास कार्यों में धनराशि खर्च हो जाती है।

नाला-सड़क निर्माण में सर्वाधिक खर्च

13वें व 14वें वित्त आयोग की धनराशि की समीक्षा की गई तो देखा गया कि नाला, नाली, खड़ंजा, इंटरलॉकिंग आदि कार्यों में सर्वाधिक धनराशि खर्च हुई है। इन कार्यों से नगर निगम को राजस्व नहीं मिलता है।

70 फीसद राजस्व आधारित योजना

नगर निगम को शासन ने आदेशित किया है कि 15वें वित्त आयोग की धनराशि के लिए ऐसी योजनाएं बनाएं जिनसे राजस्व मिले। इसमें जनहित के कार्य पर पूरी तरह पाबंदी नहीं है। जरूरी कार्य करा सकते हैं लेकिन इस मद में 30 फीसद से अधिक धनराशि नहीं खर्च हो सकती। स्पष्ट किया है कि कम से कम 70 फीसद राशि सिर्फ राजस्व आधारित योजनाओं पर खर्च होगी।

...तो आवंटित निधि में होगी कटौती

शासन ने नगर निगम को सचेत किया है कि ऐसा न करने वाले निकायों पर कार्रवाई की जाएगी। 15वें वित्त आयोग के तहत उनके लिए आवंटित राशि में कटौती कर बेहतर काम करने वाले निकायों के बीच प्रोत्साहन स्वरूप वितरित किया जाएगा।   

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