श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2021: शिव की नगरी काशी में जन्मे कृष्ण कन्हाई, सोहर गूंजी अंगनाई
भाद्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। बाबा की नगरी में सुबह से ही श्रीकृष्ण उत्सव को लेकर लोगों में जबर्दस्त उत्साह दिखा। मंदिरों में पुजारियों और आयोजकों ने तो घरों में बच्चों ने लीलाधर की अदभुत झांकी सजाई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भाद्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। बाबा की नगरी में सुबह से ही श्रीकृष्ण उत्सव को लेकर लोगों में जबर्दस्त उत्साह दिखा। मंदिरों में पुजारियों और आयोजकों ने तो घरों में बच्चों ने लीलाधर की अदभुत झांकी सजाई। घरों में जगत के पालनहार के लिए कोई पगड़ी तैयार कर रहा था तो कोई भगवान को रंग-बिरंगे मनमोहक वस्त्र धारण करा रहा था। सुबह से चल रही तैयारियां दोपहर तक पूरी हुई। उसके बाद लोगों को इंतजार था भगवान के अवतरण के दुर्लभ घड़ी का।
हालांकि इससे पहले घरों में बच्चे म्यूजिक सिस्टम की धमक पर खूब थिरके। शाम को परिवार के साथ बैठकर लोगों ने प्रभु के भजन गाए। घड़ी की सुई जैसे ही टिक-टिक करते हुए 12 बजाई तो घरों से लेकर मंदिरों तक उत्सव मनने लगा। शंख, बांसुरी, घंट-घड़ियाल बजने लगे। बच्चों ने गुब्बारों को फोड़कर भगवान का जन्मदिवस मनाया। महिलाओं ने सोहर गाया इसके बाद लीलाधर का पूजन किया गया। उसके बाद भव्य आरती की गई। भगवान को चढ़ाया गया फल-फूल, मक्खन-मिश्री प्रसाद स्वरूप लोगों ने ग्रहण किया। इसके बाद देर रात तक भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा।
हांडी-मक्खन वाला काटा गया केक : श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर लोगों द्वारा दिए गए आर्डर पर बेकर्स दुकानदारों ने जन्माष्टमी स्पेशल हांडी-मक्खन वाला केक तैयार किया था। जिसे भगवान के अवतरण के बाद देर रात काटा गया। बच्चों ने केक काटकर प्रभु के जन्मोत्सव की खूब खुशियां मनाई।
कारागारों में भी मनाया गया माखनलाल का अवतरण दिवस : भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण कारागार में हुआ था। इसी मान्यता और परंपरानुसार जिले के सभी थानों, कारागारों और पुलिस लाइन में भगवान का अवतरण दिवस मनाया गया। सभी जगह माखनलाल की सुंदर झांकी सजाई गई थी। देर रात अवतरण के बाद गीत-संगीत और हरिकीर्तन चलता रहा। पुलिसकर्मियों के परिवारिजनों में भी इस खास उत्सव को लेकर उत्साह दिखा।
पंचामृत से अभिषेक कर मनाया गया श्रीकृष्ण का प्राकट्य उत्सव : हरे कृष्ण हरे राम संकीर्तन सोसायटी की ओर से तीन दिवसीय श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के दूसरे दिन हरे कृष्ण महामंत्र एवं हरि नाम संकीर्तन का पाठ हुआ। जिसमें अशोक प्रभु, चंद्रकांत प्रभु तथा रचित प्रभु के गायनों पर भक्त झूमते रहे। नजारा वृंदावन धाम में बदल गया था। इसके बाद तुलसी महारानी की आरती हुई। अर्चन सेवा प्रियंका माता के नेतृत्व में रजनी माता और गणेश प्रभु ने गायन प्रस्तुत किया। उसके बाद गौर आरती एवं नरसिंह भगवान की भावपूर्ण आरती हुई। हरे कृष्ण महामंत्र संकीर्तन पर पूरा माहेश्वरी भवन कृष्ण मय हो गया। गुलाब प्रभु ने मेरे अंगना में आओ नंदलाल, राघवेंद्र प्रभु ने नैया ले चल परली पार, फूलों में रखो चाहे कांटों में रख लो तेरे भरोसे मेरी गाड़ी तू जाने तेरा काम जाने, प्रियंका माता ने काला काला करे गुजरी मत काले का जिक्र करे मोहे रंग में मोरनी रुदन करें, झोली कंधे धारी, उसमें चूड़ी भरी गलियों में शोर मचाया श्याम चूड़ी बेचने आया सहित अन्य भजन रजनी माता, मुकेश प्रभु तथा गणेश प्रभु ने प्रस्तुत किया। राधा गोविंद, जगन्नाथ, बलदेव व सुभद्रा महारानी देवी का मनोहरी श्रृंगार किया गया। मुख्य आयोजक ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप श्रीलड्डू गोपाल का दूध, दही, शहद, गंगाजल से अभिषेक किया। इसके बाद भक्तों ने भगवान लड्डू गोपाल का पूजन-अर्चन किया। अभिषेक के बाद 108 से अधिक व्यंजनों का भोग भगवान को अर्पित किया गया। भगवान की महाआरती की गई।
हर बने हरि, मनाई गई जन्माष्टमी : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी के टेढ़ी नीम स्थित आवास पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रभु की भव्य झांकी सजाई गई। बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा को श्रीहरि का स्वरूप दिया गया। महंत डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि महंत परिवार की परंपरा अनुसार हर-हरी श्रृंगार कर झुलनोत्सव किया गया। भगवान श्रीकृष्ण स्वरूप की झूले पर झांकी सजाई गई। महंत आवास पर शाम को पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा विविध धार्मिक अनुष्ठान किया गया। महंत डा. कुलपति तिवारी ने हर (बाबा) बने हरी की आरती उतारी। इसके बाद आराधना सिंह और स्नेहा अवस्थी ने भगवान श्रीकृष्ण के भजन गाकर प्रभु दरबार में अपनी हाजिरी लगाई। रात बारह बजे आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया ।