शरीर को पोषण धरती से मिलती है इसलिए मिट्टी की सेहत को सुधारना बहुत ही जरूरी

बीएचयू प्रो. गुरुप्रसाद सिंह ने कहा कि शरीर को पोषण धरती से मिलती है इसलिए मिट्टी की सेहत को सुधारना बहुत ही जरूरी है। अनाज की गुणवत्ता हमारी मिट्टी ही तय करती है। जब मिट्टी ही बीमार होगी तो सेहतमंद अनाज नहीं मिलपाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 09:25 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 09:25 PM (IST)
शरीर को पोषण धरती से मिलती है इसलिए मिट्टी की सेहत को सुधारना बहुत ही जरूरी
रविवार को नंदनगर स्थित आर्गेनिक हाट के सभाकक्ष में जैविक संवाद का आयोजन किया गया।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। सामाजिक उद्यमिता की संस्था आनंद कानन की ओर से रविवार को नंदनगर स्थित आर्गेनिक हाट के सभाकक्ष में जैविक संवाद का आयोजन किया गया। हमारा स्वास्थ्य व अनाज पर विशेष चर्चा हुई। मुख्य अतिथि नेशनल डेयरी डेबलपमेंट बोर्ड भारत सरकार के निदेशक व कृषि वैज्ञानिक बीएचयू प्रो. गुरुप्रसाद सिंह ने कहा कि शरीर को पोषण धरती से मिलती है इसलिए मिट्टी की सेहत को सुधारना बहुत ही जरूरी है। अनाज की गुणवत्ता हमारी मिट्टी ही तय करती है। जब मिट्टी ही बीमार होगी तो सेहतमंद अनाज नहीं मिलपाएगा। मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए जैविक खाद का प्रयोग करना होगा।

रासायनिक कीटनाशकों व रासायनिक खाद से पैदा अनाज से पेट तो भरा जा सकता है लेकिन उससे सेहत पाना संभव नहीं है। लम्बे समय तक इस तरह के अनाज बीमारी का कारण बनते हैं। सबसे ज्यादा कीटनाशक व रसायनिक खाद का प्रयोग फल व सब्जियों में हो रहा है। प्रो. गुरूप्रसाद ने कहा कि भारतीय घर की रसोई पूरी तरह से सेहतमंद थी क्योंकि हमारे रसोई से सफेद अनाज व तत्व दूर थे, हम मैदा, चीनी व नमक का उपयोग नहीं करते थे। हमारा आटा, नमक व चीनी भूरा था। उन्हांेने कहा कि मोटे अनाज सेहतमंद है। बाजरे का आटा व चावल में पाया जाना वाला एक प्रोटीन कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखता है। रागी, मडुवा, कोदो, सांवा, कंगनी, मक्रा जैसे अनाज हमारे शरीर में फैट एवं फाइबर की मात्रा को ठीक रखते है जो हमें सेहतमंद बनाता है। सामाजिक उद्यमिता से जुड़े बुंदेलखंड के किसान डा. धर्मेंद्र मिश्र ने जैविक अनाज की चुनौेती व भारत सरकार की ओर से किसानों को मिल रहे लाभ के बारे में बताया।

आत्मनिर्भर भारत व किसानों की आय पर भी चर्चा हुई। जैविक संगोष्ठी में चर्चा हुई की अब हम सभी को आर्गेनिक अनाजों का मूल्य सझना होगा। देशी गोवंश को बढ़ाना होगा। अनाज की घटती हुई गुणवत्ता व अधिक रासायनिक खाद के प्रयोग से उन लोगों को भी उस तरह की बीमारी हो रही है जैसी सिगरेट व शराब पीने वालों को होती है। भारतीय खाने की थाली कार्बो हाइडेड प्रोटीन व फैद से भरपुर थी। हमें फिर से पीछे लौटना होगा। जैविक अनाज को खाने में शामिल करना होगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डा. अवधेश दीक्षित, डा. कृष्णकांत शुक्ला, भाजपा के जिला मीडिया सह प्रभारी अरविंद मिश्र, आनंद कुमार मिश्र, राकेश सरावगी, डा. अमित पाण्डे, डा. दीपक कुमार राय, डा. अभिषेक आदि दर्जनों उपस्थित थे।

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