भारत बना रहा रेडियो टेलीस्कोप, अंतरिक्ष के रहस्यों से उठेगा पर्दा, आइआइटी बीएचयू में सम्‍मेलन

रेडियो टेलीस्कोप के तैयार होने के बाद ऐसी सभी सूक्ष्म रेडियो किरणों का अध्ययन कर भारत भी ब्रह्मांड के अज्ञात तत्वों व रहस्यों से पर्दा उठाएगा।

By Edited By: Publish:Thu, 13 Feb 2020 02:20 AM (IST) Updated:Thu, 13 Feb 2020 03:33 PM (IST)
भारत बना रहा रेडियो टेलीस्कोप, अंतरिक्ष के रहस्यों से उठेगा पर्दा, आइआइटी बीएचयू में सम्‍मेलन
भारत बना रहा रेडियो टेलीस्कोप, अंतरिक्ष के रहस्यों से उठेगा पर्दा, आइआइटी बीएचयू में सम्‍मेलन

वाराणसी [हिमांशु अस्‍थाना]। आइआइटी बीएचयू में आयोजित रेडियो सम्मेलन के मुख्य अतिथि टाटा इंस्टीट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स के निदेशक प्रो. यशवंत गुप्ता ने कहा कि उनका संस्थान दुनियाभर के वैज्ञानिकों के साथ मिल कर एक रेडियो टेलीस्कोप पर काम कर रहा है। आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में एक स्क्वायर किलोमीटर ऐरे (एसकेए) का विकास किया जा रहा है। आकाश से कई बार बेहद सूक्ष्म तरंगों का संचार धरती पर होता है, जिसे पकड़ पाना नामुमकिन होता है। रेडियो टेलीस्कोप के तैयार होने के बाद ऐसी सभी सूक्ष्म रेडियो किरणों का अध्ययन कर भारत भी ब्रह्मांड के अज्ञात तत्वों व रहस्यों से पर्दा उठाएगा।

आणविक घड़ी का रक्षा क्षेत्र में भी होगा उपयोग

विज्ञान व अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लेकर बुधवार को रेडियो सम्मेलन की शुरूआत हुई, जिसमें देश-दुनिया के लगभग 400 रेडियो व अंतरिक्ष वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। इंटरनेशनल यूनियन आफ रेडियो साइंस (यूआरएसआइ) व आइआइटी बीएचयू के इस कार्यक्रम में रेडियो वैज्ञानिकों ने बताया कि उपग्रहों की स्थिति का अनुमान लगाने को भारत में आणविक घड़ी का विकास किया जा रहा है। इससे समय की सटीक गणना कर कई बड़ी तकनीकी चुनौतियों से निपटा जा सकता है। घड़ी का इस्तेमाल युद्धों व रक्षा अनुसंधान में होगा। तीन दिनी सम्मेलन के पहले दिन 250 शोध पत्र रखे गए, इनके लिए पांच शोध छात्रों व युवा वैज्ञानिकों को सम्मानित किया जाएगा। 

मेगाह‌र्ट्ज नहीं अब टेरा ह‌र्ट्ज पर काम

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च सेंटर से आए डा. श्रीगणेश एस प्रभु ने कहा कि हम लोग अभी तक मेगाह‌र्ट्ज फ्रीक्वेंसी पर काम कर रहे थे, लेकिन अब वह बहुत जल्द टेराह‌र्ट्ज पर आधारित कई उपकरणों को प्रस्तुत करने वाले हैं। इंटरनेट स्पीड सहित कई तकनीकी कार्य आज की तुलना में कई सौ गुना तेजी से होंगे। सम्मेलन में डीआरडीओ के डा. विशाल केशरी, आइआइएसटी के डा. चिन्मय साहा, कनाडा स्थित रॉयल मिलिट्री कालेज के डा. देबदीप सरकार व इसरो सहित कई युवा वैज्ञानिकों ने रेडियो तरंगों के विकास से भारत को समृद्ध बनाने की बात रखी। इस दौरान आइआइटी के निदेशक प्रो. पीके जैन, प्रो. सत्यव्रत जीत, प्रो. वीएन मिश्र, प्रो. अनंत सुब्रमण्यम, प्रो. अमिताभ सेन व डा. सोमक भट्टाचार्य सहित अन्य थे।

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