कोरोना संक्रमण काल में लोगों को योग से निरोग कर रहे बीएचयू के योग और वैलनेस विशेषज्ञ

हमने अपनी पारंपरिक विधियों को अपनाना बंद कर दिया जैसे कि नित्य कर्म योगाभ्यास दैनिक हवन शंख ध्वनि इत्यादि अगर हम इन उपायों को अपनाते रहते तो जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की इस समय बात हो रही है वह रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर में स्वतः ही बनी रहती।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 05:35 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 05:50 PM (IST)
कोरोना संक्रमण काल में लोगों को योग से निरोग कर रहे बीएचयू के योग और वैलनेस विशेषज्ञ
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के एनएफटीएचएम सेंटर की ओर से योग प्रशिक्षण

वाराणसी , जेएनएन। अथ योगानुशासनम' पातंजल योग का प्रथम सूत्र है। वैश्विक महामारी में इस सूत्र का आश्रय लिया जाए तो हम तेजी से बढ़ते हुए संक्रमण से बच सकते हैं, क्योंकि अनुशासन से ही सबकुछ संभव होता है। स्वास्थ्य हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है। हमने अपनी पारंपरिक विधियों को अपनाना बंद कर दिया जैसे कि नित्य कर्म योगाभ्यास दैनिक हवन, शंख ध्वनि इत्यादि अगर हम इन उपायों को लगातार अपनाते रहते तो जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की इस समय बात हो रही है वह रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर में स्वतः ही बनी रहती।

यह सीख दे रहे हैं चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के एनएफटीएचएम सेंटर के योग एवं वैलनेस विशेषज्ञ डा. अभिषेक गुप्ता। वे कोरोनाकाल में आनलाइन योग के माध्यम से सैकड़ों लोगों को निरोग कर रहे। उनके साथ ही सुबह छह बजे ही वाराणसी के साथ देश के अन्य राज्यों के महिला-पुरुष व बच्चे भी योगाभ्यास में जुट जाते हैं।

कपालभाति से बढ़ती है फेफड़े की क्षमता

डा. अभिषेक बताते हैं कि उचित खानपान के साथ शारीरिक, सामाजिक व वातावरण की स्वच्छता पवित्रता हमको रखनी है। इस क्रम में योग का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। इस संक्रमण काल में व्यक्ति फेफड़ों की क्षमता बढ़ाना और मानसिक तनाव से मुक्ति पाना चाहता है। इसके लिए बहुत ही सरल उपाय योगाभ्यास में बताए गए हैं। मुख्य रूप से हम कपालभाति क्रिया जो कि फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ पाचन को ठीक रखती है और तनाव से मुक्त करने में भी लाभदायक है।

किडनी की समस्या का भी कर रहे दूर

हमारी किडनी के ऊपर एड्रिनल ग्रंथि होती हैं। तनाव की स्थिति में कॉर्टिसोल, एल्डोस्टेरान एवं एपीनेफ्रिन नामक हार्मोन की रक्त में अधिकता हो जाती है। कपालभाति क्रिया करने से हमारे ग्रंथि के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह हारमोंस कम होने लगते हैं। साथ ही जब भस्त्रिका प्राणायाम करते हैं तो फेफड़ों की जो इकाई जिसको एल्वोलाई कहते हैं उस में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की आदान-प्रदान तेजी से होता है। इसके माध्यम से से कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ों से अधिक बाहर निकलती है और शुद्ध ऑक्सीजन के माध्यम से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। साथ ही शुद्ध रक्त शरीर की कोशिकाओं में जाता है।

योग से दूर कर रहे मानसिक तनाव

नाड़ी शोधन एवं भ्रामरी प्राणायाम करने से हमारे मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि से एन्डोरफिन एवं हैप्पी हारमोंस खुश रखने वाले हार्मोन जिसमें डोपामाइन एवं ऑक्सीटॉसिन होते हैं। इन हार्मोन के संतुलन के कारण हमारे शरीर में तनाव रहित स्थिति आ जाती है और योग निद्रा के माध्यम से हम इस संक्रमण काल में तनाव से मुक्त रह सकते हैं। यह इन योगाभ्यास का वैज्ञानिक महत्व है।

योग क्लास से जुड़े 200 लोग

डा. अभिषेक गुप्ता ऑनलाइन योगाभ्यास के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराने का प्रयास कर रहे हैं, इस संक्रमण काल में करीब 200 से अधिक लोग अभ्यास कर रहे हैं, जिसमें देश-विदेश के विभिन्न लोग भाग ले रहे हैं। हर आयु वर्ग के जिसमें मुख्य रूप से संक्रमण के बाद के रोगी जो स्वस्थ हुए हैं। कॉलेजों के छात्र, घरेलू महिलाएं, छोटे बच्चों के लिए किड्स योग ऑनलाइन योगाभ्यास करते हैं। इसमें बहुत लोगों को लाभ हो रहा है और यह कक्षाएं सुबह और शाम दोनो समय चलती हैं।

नाड़ी शोधन की भी जानकारी

अभ्यास के क्रम में जोड़ों के लिए सूक्ष्म यौगिक अभ्यास की क्रियाएं, मेधा शक्ति विकासक क्रिया, नेत्र शक्ति विकासक क्रिया, ग्रीवा संचालन, स्कंध संचालन, कटि संचालन, जानू संचालन, सूर्य नमस्कार के उपरांत ताड़ासन, मंडूकासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, शवासन के बाद कपालभाति क्रिया, भस्त्रिका प्राणायाम, अग्निसार, नाड़ी शोधन एवं भ्रामरी प्राणायाम के बाद ध्यान के क्रम को करते हुए अभ्यास को प्रार्थना के साथ समापन करते हैं।

शंख, सीटी बजा व गुब्बारे फुला कर करें फेफड़े को मजबूत

शंख बजाने, सीटी बजाने के लिए और गुब्बारे फुलाने की सलाह दी जाती है, जिससे कि अपने घर पर आनंद के साथ प्रसन्नता पूर्वक योगाभ्यास के क्रम को कर सकते हैं। इससे अपनी फेफड़ों की क्षमता के साथ-साथ अपनी जीवनी शक्ति, अपनी क्रियाशक्ति और योगः कर्मसु कौशलम के सिद्धांत को अपनाते हुए हम अपने दैनिक कार्यों को इस महामारी काल में तनाव रहित स्थिति में पूरा कर सकें यही प्रयास है। डा. अभिषेक ने सलाह दी है कि रोगी किसी योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शक में या उनसे सलाह परामर्श करने के बाद ही योगाभ्यास शुरू करें। साथ ही चिकित्सक का परामर्श बहुत ही आवश्यक है और सभी लोग भारत सरकार द्वारा जो गाइडलाइंस दी गई है उसका पालन  करते हुए योगाभ्यास करें।

जारी किया मोबाइल नंबर

यह ऑनलाइन क्लास विभिन्न ऐप के माध्यम से संचालित होता है और पत्रकारों के लिए भी सुबह नौ से साढ़े बजे तक योगाभ्यास की क्लास शुरू हो रही है। डा. अभिषेक ने अपना मोबाइल नंबर 9455209615 जारी किया हैं, जिसके माध्यम से कोरोना रोगी या पोस्ट कोविड लोग योगाभ्यास का लाभ ले सकते हैं।

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