नए आविष्कारों के पेटेंट का उठाएगा खर्च बीएचयू, आठ विषय विशेषज्ञों पैनल की सूची वेबसाइट पर जारी

बीएचयू नई खोजों और आविष्कारों के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करेगा। छात्रों के नए शोधों के पेटेंट और बौद्धिक संपदा के संरक्षण का खर्च बीएचयू उठाएगा। इसके लिए अधिकृत देशभर के आठ विषय विशेषज्ञों के पैनल की सूची बीएचयू के वेबसाइट पर जारी की गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:19 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:19 PM (IST)
नए आविष्कारों के पेटेंट का उठाएगा खर्च बीएचयू, आठ विषय विशेषज्ञों पैनल की सूची वेबसाइट पर जारी
बीएचयू नई खोजों और आविष्कारों के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करेगा।

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू नई खोजों और आविष्कारों के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करेगा। छात्रों के नए शोधों के पेटेंट और बौद्धिक संपदा (आइपीआर) के संरक्षण का खर्च बीएचयू उठाएगा। इसके लिए अधिकृत देशभर के आठ विषय विशेषज्ञों के पैनल की सूची बीएचयू के वेबसाइट पर जारी की गई है। इनके माध्यम से विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक और विद्यार्थी अपने नवीन शोध, आविष्कारों को पेटेंट और रजिस्टर करा सकते हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा किये जाने वाले सभी पेटेंट एवं आइपीपीआर का पूर्ण भुगतान विश्वविद्यालय आइपीआर सेल एवं विधि प्रकोष्ठ द्वारा किया जाएगा।

फूड टेक्नोलाजी के लिए नोएडा से डा. विशाल त्रिपाठी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स, कंप्यूटर साइंस, फार्मेसी, केमिस्ट्री और बायो टेक्नोलाजी के लिए नई दिल्ली के सुदर्शन कुमार बंसल और कोलकाता से जोशिता दावर खेमानी को संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा बायोकेमिस्ट्री के लिए मुंबई के अंशुल सुनील सौराष्ट्री, केमिस्ट्री और लाइफ साइंसेज के लिए नोएडा की प्रियंका दुबे, वहीं बायो टेक्नोलाजी, बायोसाइंसेज व एनवायर्नमेंटल साइंसेज के लिए गुरुग्राम के अनुपम त्रिवेदी, इंफार्मेशन टेक्नोलाजी के लिए नई दिल्ली की मधुलता कुमारी और केमिस्ट्री के लिए गुरुग्राम के डा. रमेश कुमार मेहता को विषयवार पेटेंट एवं बौद्धिक संपदा रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत किया है। आईपीआर सेल टास्क फोर्स के संयोजक ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोध और पेटेंट को गति देने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

नियुक्तियों के आवेदन का रिकार्ड गायब

यूपी बोर्ड से संचालित 80 फीसद माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त चल रहे हैं। वर्ष 2013 में प्रधानाचार्यों की नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। आठ वर्ष बीत जाने के बावजूद अब तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है। वहीं उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद ने चयन बोर्ड पर आवेदन का रिकार्ड भी गायब करने का आरोप लगाया है। परिषद ने इसे घोर लापरवाही बताते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। परिषद के प्रंतीय अध्यक्ष ब्रजेश शर्मा व प्रांतीय संयोजक डा. विश्वनाथ दुबे ने चयनबोर्ड की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि तत्काल प्रभाव से वर्ष 2013 में जारी विज्ञापन को से निरस्त करने की मांग की है। बताया कि परिषद प्रदेश प्रवक्ता सुनील मिश्र ने वर्ष 2013 में 599 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे। सूबे में करीब चार हजार लोगों ने आवेदन किया था। सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य व प्रांतीय संयोजक डा. दुबे ने विद्यालयों में प्रधानाचार्यों का पद रिक्त होने के कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। प्रदेश सरकार से उन्होंने अध्यादेश के माध्यम से तदर्थ प्रधानाचार्यों के विनियमितीकरण करने की मांग की है।

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