BHU में चीनी के शीरे से अल्कोहल उत्पादन पर कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान से होगा करार
फरवरी के दूसरे सप्ताह बीएचयू कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के साथ मिलकर चीनी के शीरे से अल्कोहल उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे। इसके साथ ही बीएचयू एनएसआइ के सहयोग से इथेनाल के उत्पादन पर भी तेजी से कदम बढ़ाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। फरवरी के दूसरे सप्ताह बीएचयू कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के साथ मिलकर चीनी के शीरे से अल्कोहल उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे। इसके साथ ही बीएचयू एनएसआइ के सहयोग से इथेनाल के उत्पादन पर भी तेजी से कदम बढ़ाएगा। इसके लिए एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन बीएचयू आएंगे और दोनों संस्थानों के मध्य मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर होगा। इसके बाद दोनों संस्थान एक-दूसरे का शोध और अनुसंधान को साझा कर उच्च गुणवत्ता के अल्कोहल का उत्पादन करेंगें।
एनएसआइ के पूर्व छात्र व बीएचयू के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर कानपुर जाकर एनएसआइ का निरीक्षण भी किया। इस दौरान उन्होंने ही तकनीकी जानकारियों को जाना और बीएचयू के उनके साथ मिलकर काम करेगा, इस पर सहमति भी बनी। प्रो. मोहन के मुताबिक, चीनी के शीरे में खमीर की क्वालिटी जितनी बेहतर होगी, उतना ही अधिक अल्कोहल मिलेगा। खमीर की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बीएचयू संग काम किया जाएगा। कृषि अवशेषों और किचन से निकलने वाले बेकार वस्तुओं से बायो गैस तैयार की जाएगी।सबसे पहले उन्होंने जैव रसायन, कार्बनिक रसायन, कृषि रसायन और शर्करा प्रौद्योगिकी अनुभाग की प्रयोगशालाओं में विकसित किए गए अनुसंधानों को देखा। गन्ने की बेकार खोई से निर्मित खाने युक्त फाइबर, बिस्कुट और अन्य मूल्यवर्धित वस्तुएं पर भी सूक्ष्म दृष्टि डाली। वहीं एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने उन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुड़, फ्लेवर्ड चीनी के बारे में जानकारी दी। चीनी और डिस्टिलरी उद्योग के लिए तैयार जीरो डिस्चार्ज तकनीक के बारे में बताय