कोरोना संक्रमण के कारण बीएचयू ने खोया कई ख्यात पुरोधा, परिसर में रोज टूट रहा संकट का पहाड़
जब भी बात बीएचयू की होती है तो देश-दुनिया के लोग इसे शैक्षणिक संस्थान के रूप में नहीं बल्कि एक महान संस्कृति और विरासत को सहेजने वाली बगिया के रूप में जानते हैं। आज इस परिसर की संस्कृति और विरासत को कोरोना से काफी धक्का पहुंचा है।
वाराणसी, जेएनएन। जब भी बात बीएचयू की होती है तो देश-दुनिया के लोग इसे शैक्षणिक संस्थान के रूप में नहीं बल्कि एक महान संस्कृति और विरासत को सहेजने वाली बगिया के रूप में जानते हैं। आज इस परिसर की संस्कृति और विरासत को कोरोना से काफी धक्का पहुंचा है। दरअसल, एक-एक करके बीएचयू के कई उम्रदराज और विख्यात प्रोफेसर, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक अब हमारे बीच से विदा होते जा रहे हैं।
ख्यात एकेडमिशियन और भूगोल विभाग के प्रो. रवि शंकर, हिंदी के प्रमुख हस्ताक्षर प्रो. राम नारायण द्विवेदी, अंग्रेजी के बड़े विद्वान रहे प्रोफेसर आर एस शर्मा, विधि विशेषज्ञ और विधि संकाय के पूर्व डीन प्रो. सुशील कुमार वर्मा और अंत में हाइड्रोजन मैन पद्मश्री प्रो. ओंकार नाथ श्रीवास्तव और उनका मेधावी शोधार्थी डा. अभय जयसवाल व अन्य कई स्टाफ को कोरोना ने हमसे दूर कर दिया है। इनके इस तरह जाने से महामना की विरासत के फूल अब मुरझाने लगे हैं। वहीं इस स्थिति पर बीएचयू प्रशासन ने मंगलवार देर शाम एक पत्रक जारी कर कहा है कि जहां एक तरफ विश्वविद्यालय परिवार उपलब्ध संसाधनों के साथ पूरी क्षमता के साथ इस महामारी के विरुद्ध जंग लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर हमें कोविड के कारण अपने प्रियजनों के खोने का शोक भी है।
बीएचयू में कुछ शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक,स्वास्थ्य सेवाओं में जुटे और छात्र समेत अनेक सदस्य कोविड-19 महामारी के कारण असमय मृत्यु को प्राप्त हुए। विश्वविद्यालय परिवार के लिए ये ऐसी अपूरणीय क्षति है। इन सभी सदस्यों ने अपने योगदान से विश्वविद्यालय को न केवल गौरवान्वित किया, बल्कि गौरव यात्रा को हमेंशा आगे बढ़ाया। बीएचयू संकट के इस दौर में सभी शोकाकुल परिवारों के साथ मजबूती से खड़ा है।
नहीं रहे व्याकरण शास्त्र के आचार्य चूड़ामणि, संस्कृत जगत में शोक
संस्कृत व्याकरणशास्त्र के विद्वान आचार्य चूडामणि शास्त्री का रविवार को मैदागिन स्थित एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। लगभग 16 दिन पहले से सीने में संक्रमण के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। कुछ दिन पूर्व उनका कोविड आरटीपीसीआर जांच भी निगेटिव पाई गई थी। जल्द ही छुट्टी दी जाने वाली थी, लेकिन फेफड़े में संक्रमण से उन्हें कमजोरी महसूस होने लगी और सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई। इससे उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। आचार्य चूड़ामणि शास्त्रार्थ महाविद्यालय से एक वर्ष पूर्व ही व्याकरणशास्त्र विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके असमय निधन से संस्कृत जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी।