थाईलैंड, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के डाक्टरों को ट्रेनिंग देंगे बीएचयू के विशेषज्ञ, 21 अक्टूबर से शुरू होगा सत्र
बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी चिंतित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कह चुके हैं कि ऐसी व्यवस्था हो कि जहां बीमार-वहीं उपचार। इसी के तहत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक तैयार करने की पहल की जा रही है।
वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी ङ्क्षचतित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कह चुके हैं कि ऐसी व्यवस्था हो कि जहां बीमार-वहीं उपचार। इसी के तहत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक तैयार करने की पहल की जा रही है। डब्ल्यूएचओ के नई दिल्ली स्थित दक्षिण पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय व इंडियन एकेडमिक आफ जीरियाट्रिक के संयुक्त तत्वावधान में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। इसमें भारत के साथ ही थाईलैंड, बांग्लादेश, नेपाल व श्रीलंका के चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसका पहला सत्र 21 अक्टूबर से शुरू होगा। यह कार्यक्रम गूगल क्लासरूम के माध्यम से होगा।
आयोजित होंगे पांच सत्र, एक सत्र में 30 प्रतिभागी
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिली है। पांच देशों के चिकित्सकों को ट्रेङ्क्षनग देने की जिम्मेदारी आइएमएस-बीएचयू के साथ ही एम्स नई दिल्ली, जोधपुर, मद्रास व कोलकाता मेडिकल कालेज के भी विशेषज्ञों को मिली है। इसमें बीएचयू के चिकित्सकों की भूमिका अहम होगी। तीन-तीन दिन चलने वाले पांच सत्रों के इस आनलाइन आयोजन में कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी शामिल रहेंगे। बीएचयू का जीरियाट्रिक मेडिसिन पहला विभाग है जिसे रीजनल जीरियाट्रिक सेंटर भी बनाया गया है।
150 डाक्टरों को किया जाएगा प्रशिक्षित
आइएमएस-बीएचयू स्थित जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. शंख शुभ्र चक्रवर्ती ने बताया कि हर सत्र में 30 प्रतिभागी शामिल होंगे। पहला सत्र 21 से 23 अक्टूबर तक चलेगा। पांच सत्र में 150 डाक्टरों को बुजुर्ग मरीजों के बेहतर उपचार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। खासकर प्राइमरी हेल्थ के साथ ही न्यूरोलाजिकल, हारमोनल, कार्डियक, गैस्ट्रो संबंधी रोगों के उपचार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद ये प्रतिभागी अपने-अपने क्षेत्र में अन्य चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित करेंगे। अगले चार सत्रों की तिथि जल्द ही तय की जाएगी।