भिनगाराज अनाथालय ट्रस्ट : बाबू के खेल में दोबारा खुल गया पेट्रोल पंप, जांच रिपोर्ट दर‍किनार

वर्ष 2004 में अपर जिलाधिकारी (राजस्व) की जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर कलेक्ट्रेट के एक बाबू ने एक अधिकारी को मिलाकर दोबारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया जबकि जांच रिपोर्ट में एडीएम ने एनओसी नहीं देने की बात लिखी थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 06:28 PM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 06:28 PM (IST)
भिनगाराज अनाथालय ट्रस्ट : बाबू के खेल में दोबारा खुल गया पेट्रोल पंप, जांच रिपोर्ट दर‍किनार
ट्रस्ट की जमीन पर पेट्रोल पंप दोबारा खोलने में कलेक्ट्रेट और तहसील कर्मियों ने खूब खेल खेला।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। भिनगाराज अनाथालय ट्रस्ट की जमीन पर पेट्रोल पंप दोबारा खोलने में कलेक्ट्रेट और तहसील कर्मियों ने खूब खेल खेला। वर्ष 2004 में अपर जिलाधिकारी (राजस्व) की जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर कलेक्ट्रेट के एक बाबू ने एक अधिकारी को मिलाकर दोबारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया, जबकि जांच रिपोर्ट में एडीएम ने एनओसी नहीं देने की बात लिखी थी। इतना ही नहीं, एडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2004 में उस पेट्रोल पंप की एनओसी निरस्त होने के साथ बंद हो गया था। वर्ष 2009 में दूसरी एनओसी के आधार पर संचालक ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. का पंप खोल लिया।

भिनगाराज अनाथालय ट्रस्ट की जमीन पर तथाकथित लोगों ने फर्जी वसीयत के आधार पर नाम चढ़वा लिया। वर्ष 19 मार्च, 2004 को तत्कालीन अपर जिलाधिकारी ने जांच में पाया कि भिनगाराज अनाथालय ट्रस्ट की जमीन पर लोग अवैध तरीके से काबिज हैं। उक्त जमीन का इस्तेमाल सिर्फ भिनगाराज अनाथालय के लिए किया जा सकता है। एडीएम की जांच रिपोर्ट पर उस दौरान पेट्रोल पंप की एनओसी निरस्त कर दी गई। उसके साथ ही पेट्रोल पंप कई सालों तक बंद रहा। वर्ष 2009 में पंप संचालक ने कलेक्ट्रेट के एक बाबू के सहारे फिर खेल शुरू किया। बाबू ने पुरानी फाइल को छिपाकर नई तैयार की। बाबू ने अधिकारी को मिलाकर पंच संचालक को जिला प्रशासन की ओर से एनओसी जारी करा दी। इसी आधार पर वीडीए ने इस शर्त पर एनओसी दी कि पंप संचालक नक्शा पास कराएगा।

पूर्व एमएलसी की शिकायत पर हुई जांच : पूर्व शिक्षक एमएलसी चेत नारायण सिंह ने भिनगाराज अनाथालय ट्रस्ट की जमीन पर तथाकथित लोगों को कब्जा करने, पेट्रोल पंप खोलने की शिकायत जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से की थी। जिलाधिकारी के निर्देश पर सेवानिवृत्त सिटी मजिस्ट्रेट सत्य प्रकाश सिंह ने जांच शुरू की थी। पूर्व एमएलसी शिकायत करने के साथ कार्रवाई के बारे में जानकारी लेते रहे। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों के साथ के साथ शासन को भी पत्राचार कर अवगत कराया था।

तीन माह तक नहीं मिली फाइल : सेवानिवृत्त सिटी मजिस्ट्रेट और जांच अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह ने बताया कि वर्ष 2009 में पेट्रोल पंप संचालक को जारी एनओसी की फाइल कार्यालय में खोजी गई तो नहीं मिली। करीब तीन माह तक फाइल नहीं मिलने पर तत्कालीन आयुध लिपिक अवधेश मिश्रा को नोटिस जारी कर पत्रावली के बारे में पूछा गया। तत्कालीन बाबू ने फाइल उपलब्ध कराई, तब जाकर पुरानी घटना के बारे में जानकारी हुई।

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