भारत माता मंदिर : वाराणसी में अखंड भारत का अनोखा मंदिर, डा. भगवान दास ने रखी आधारशिला

Bharat Mata Temple मंदिर की बात आती है तो मन में देवी-देवताओं की आकृतियां बनने लगती हैं उनका स्मरण हो जाता है। वहीं काशी में एक अनोखा भारत माता मंदिर है जहां देवी-देवता की मूर्ति नहीं बल्कि भारत माता-अखंड भारत के मानचित्र को लोग पूरी श्रद्धा से शीश नवाते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 07:10 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 07:10 AM (IST)
भारत माता मंदिर : वाराणसी में अखंड भारत का अनोखा मंदिर, डा. भगवान दास ने रखी आधारशिला
Bharat Mata Temple अनोखा भारत माता मंदिर में अखंड भारत के मानचित्र को लोग पूरी श्रद्धा से शीश नवाते हैं।

वाराणसी, जेएनएन। Bharat Mata Temple मंदिर की बात आती है तो मन में देवी-देवताओं की आकृतियां बनने लगती हैं, उनका स्मरण हो जाता है। वहीं काशी में एक ऐसा अनोखा भारत माता मंदिर है, जहां देवी-देवता की मूर्ति नहीं, बल्कि भारत माता-अखंड भारत के मानचित्र को लोग पूरी श्रद्धा से शीश नवाते हैं। देश-विदेश से हजारों लोग हर वर्ष मंदिर देखने आते हैं। यहां जूता-चप्पल पहनकर प्रवेश की अनुमति नहीं है।  

94 वर्ष पहले रखी गई आधारशिला

मंदिर की आधारशिला दो अप्रैल वर्ष 1926 को भारतरत्न डा. भगवान दास ने रखी थी। इसके बाद मंदिर बनाने के लिए शिल्पियों की तलाश शुरू हुई। अंतत: काशी के दुर्गा प्रसाद मंदिर बनाने को तैयार हुए।

आठ वर्ष में निर्माण, बापू से शुभारंभ

आठ वर्षों में अद्भुत अखंड भारत माता मंदिर बना। महात्मा गांधी ने 25 अक्टूबर 1936 (विजयादशमी) को इसका उद्घाटन किया। सफेद संगमरमर से निर्मित मंदिर के गर्भगृह में अखंड भारत का मानचित्र है।

पत्थर के 762 टुकड़ों से बना मानचित्र

मंदिर में लगे 11 गुना 11 इंच के पत्थर के 762 टुकड़ों से बने मानचित्र को सलीके से तराशा गया है। गर्भगृह 31 फीट दो इंच लंबा व 30 फीट दो इंच चौड़ा है।

मानचित्र करता लोगों को अचंभित

हमारी मातृभूमि इस मानचित्र से चार लाख पांच हजार पांच सौ गुना बड़ी है। धरातल भूमि एक इंच में 6.4 मील दर्शायी गई है यानी एक इंच भूमि की लंबाई छह मील सात सौ गज है। वहीं समुद्र तट से 500, एक हजार, दो हजार, तीन हजार, छह हजार, दस हजार, 15 हजार, 20 हजार व 25 हजार फीट की ऊंचाई स्पष्ट रेखाओं से काटकर दर्शायी गई है। पश्चिम तक लंबाई 32 फीट दो इंच व उत्तर से दक्षिण तक 30 फीट दो इंच है, जिसमें चौकोर मकराना के 11 इंच के 762 सफेद पत्थर काटकर लगे हैं। इसमें हिमालय व दूसरे पर्वतों की 450 चोटियां इंच में दो हजार फीट के हिसाब से काट कर दिखाई गई हैं। 800 छोटी व दो बड़ी नदियां जो अपने स्रोत से लेकर जहां गिरी हुई हैं ठीक दो मार्ग में दिखाई गई हैं।

यही नहीं मुख्य पर्वतों, पहाडिय़ों, झीलों, नहरों व टापुओं संग वर्तमान काल के सभी नगरों, तीर्थस्थलों व प्रांतों के नाम बखूबी दर्शाये गए हैं। भारतभूमि के उत्तर में पामीर, तिब्बत, तुर्किस्तान, पूर्व में ब्रह्मा देश, मलय प्रायद्वीप, चीन की दीवार का अंश, बंगाल की खाड़ी-द्वीप, पश्चिम में अफगानिस्तान, बलूचिस्तान व अरब सागर भी दिखाया है।

राष्ट्रीय पर्व पर निखर उठती आभा

गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस मंदिर की गेंदा के फूलों से सजावट की जाती है। यही नहीं मानचित्र में बने नदियों व झरने में पानी भी भरा जाता है जो देखते में काफी आकर्षक लगता है।

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