दुर्घटना में तड़प रहे व्यक्ति का वीडियो बनाने से अच्छा दिल पर धक्का लगाएं और उसकी जान बचाएं

वाराणसी आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के सचिव कर्मराज सिंह बताते हैं कि एक्सीडेंट में पहला घंटा गोल्डेन आवर कहलाता है। अमूमन यह देखा गया कि एक्सीडेंट के बाद घायल की सांस ही रूक जाती है। वह सांस भी नहीं ले पाता है। इसमें हार्ट अटैक भी हो सकता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:38 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:38 AM (IST)
दुर्घटना में तड़प रहे व्यक्ति का वीडियो बनाने से अच्छा दिल पर धक्का लगाएं और उसकी जान बचाएं
वाराणसी आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के सचिव कर्मराज सिंह बताते हैं कि एक्सीडेंट में पहला घंटा गोल्डेन आवर कहलाता है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के तत्वाधान में वाराणसी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन बोन एंड ज्वाइंट डे के उपलक्ष्य में एक से सात अगस्त तक सीपीआर ट्रेंनिंग आयोजित कर रहा है। इसके तहत बनारस के पुलिस, पत्रकार, नैंवीं से ऊपर के छात्र, ट्रैफिक पुलिस के साथ आम नागरिक को भी निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पूरे सप्ताह में वाराणसी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने 5000 लोगों को सीपीआर ट्रेंनिंग कराने का लक्ष्य रखा है। वाराणसी आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के सचिव कर्मराज सिंह बताते हैं कि एक्सीडेंट में पहला घंटा गोल्डेन आवर कहलाता है। अमूमन यह देखा गया कि एक्सीडेंट के बाद घायल की सांस ही रूक जाती है। वह सांस भी नहीं ले पाता है। इसमें हार्ट अटैक भी हो सकता है। ऐसे समय में सीपीआर टेक्निक जीवनदायनी साबित होती है। इसमें घायल की छाती पर दबाव बनाया जाता है। हथेलियों से हार्ट को पंप किया जाता है, जिससे धड़कने वापस आ जाती हैं।

कई बार मुंह से सांस भी फूंकी जाती है। यह इतनी आसान टेक्निक है कि इसे हर आदमी सीख सखता है। यह महज 5-10 मिनट का प्रोसेस होता है। इससे सड़क दुर्घटना में 50 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है। हमारा उद्​देश्य भी यही है कि सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति को इसकी जानकारी होनी चाहिए। वाराणसी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सदस्यों ने चार अगस्त को साईकिल रैली का आयोजन रुद्राक्ष सेंटर से मलदहिया तक कर लोगों को जागरूक किया।

बेसिक लाइफ सपोर्ट अर्थात कार्डियो पल्मोनरी रिसस्सीटेशन (सीपीआर), एक्सीडेंट या हार्ट अटैक के बाद शरीर व मस्तिष्क के ऑक्सीजन प्रवाह को सुचारू रखने की साधारण प्रक्रिया है जो एक आम नागरिक भी कर सकता है। हॉस्पिटल पहुचने के पहले आधे मरीजों के जीवन बचने की उम्मीद बनी रहती है। इसका प्रशिक्षण 2000 छात्र व अन्य अनेक कोचिंग संस्था, उपकार नर्सिंग कालेज, मीडिया कर्मी, रेलवे पुलिस, रोटरी इत्यादि को दिया जा रहा है। एक डॉक्यूमेंट्री भी आम जनता के लिए बनाई गई है।

बेसिक लाइफ सपोर्ट आखिरी सांस तक

- कायक्रम में अध्यक्ष डॉ. राकेश सिंह,संयुक्त सचिव डॉ. स्वरूप पटेल, कार्यकारिणी डॉ. अजीत, डॉ. नीरज, डॉ. विनीत, डॉ. चंदन किशोर व भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ एस. के. सिंह व उनकी पौत्री ने भी अन्य सदस्यों के साथ साइकिल चलाकर साथ दिया। इंडियन ओर्थोपेडिक एसोसिएशन की देशव्यापी एक लाख जीवन योद्धा बनाने की मुहिम अगस्त माह में सम्पन्न हो रही है, जिसका बनारास भागीदार बन रहा है। बताया सनबीम स्कूल वरूणा वाराणसी व अन्य कोचिंग सेंटर, उपकार नर्सिंग कालेज, डी.पी.एस. में सीपीआर ट्रेनिंग दिया जा चुका है व प्रत्येक व्यक्ति को सीपीआर के प्रति जागरूकता का प्रयास जारी है। अब तक 2080 की संख्या में लोगों को ऑनलाइन व ऑफलाइन (फिजिकल) प्रशिक्षण निशुल्क प्रदान किया जा चुका है। इस सीपीआर ट्रेनिंग का उद्देश्य है कि प्रत्येक व्यक्ति को बेसिक लाइफ सपोर्ट जानकारी हो और आवश्यकता पड़ने पर या दुर्घटना स्थल पर व्यक्ति के मूर्छित अवस्था में होने पर सीपीआर कर उस व्यक्ति की जान बचाई जा सके जब तक कोई मेडिकल टीम वहां पर ना आ जाए।

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