संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकाें की नियुक्ति से पहले छात्रों ने जताया धांधली का अंदेशा, साैंपा पत्रक

वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस क्रम में आवेदनों की स्क्रीनिंग कराई जा रही है। वहीं इसकी भनक लगते ही छात्र नियुक्ति भ्रष्टाचार होने की संभावना जताने लगे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 11:02 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 11:02 AM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकाें की नियुक्ति से पहले छात्रों ने जताया धांधली का अंदेशा, साैंपा पत्रक
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज कर दी है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस क्रम में आवेदनों की स्क्रीनिंग कराई जा रही है। वहीं इसकी भनक लगते ही छात्र नियुक्ति भ्रष्टाचार होने की संभावना जताने लगे हैं। यही नहीं इस संबंध में छात्राें ने कुलपति कार्यालय को एक पत्रक भी सौंपा है जिसमें राज्य सरकार द्वारा नामित व्यक्ति को चयन समिति का अध्यक्ष बनाने की मांग की गई है।

विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में अध्यापकों के रिक्त 74 पदों के लिए गत दिनों आवेदन मांगें गए थे। इसमें प्रोफेसर के लिए 11, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए साम व असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 56 पद शामिल है। इसके अलावा एक अनुसंधान निदेशक, एक पुस्तकालयाध्यक्ष व 14 सहायक सहायक पुस्तकालाध्यक्ष पद के लिए भी आवेदन मांगे गए हैं। इस प्रकार कुल 90 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। शासन के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रशासन इसी माह में चयन समिति बुलाने की तैयारी कर रही है। वहीं नियुक्ति प्रक्रिया तेज होते ही छात्रों ने धांधली होने की आशंका जताने लगे हैं। दूसरी ओर कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने शासन की मंशा के अनुरूप पारदर्शी तरीके से नियुक्ति करने की तैयारी में जुटे हुए हैं।

बहरहाल छात्रों ने कुल 12 सूत्रीय मांगपत्र कुलपति को सौंपा है। इसमें शास्त्री-आचार्य में पठन-पाठन तत्काल शुरू करने तथा छात्रावास आवंटन की भी मांग की गई है। छात्रों ने वर्ष 2018 एवं 2019 वार्षिक तथा सेमेस्टर परीक्षा दाखिला पूर्ण होने के एक माह बाद कराने जाने के प्रकरण को भी उठाया है। कहा कि दाखिले के एक माह बाद परीक्षा करना छात्रों के भविष्य के साथ खिड़वाड़ करने जैसा है। छात्रों ने इसकी जांच कराकर इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। आरोप है कि कुलपति छात्रों से नहीं मिलते हैं। इसके कारण छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने कुलपति से संबद्ध महाविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल बहाल करने का अनुरोध किया है। पूर्व कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ला की कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराने, रूसा के अनुदान का दुरुपयाेग की जांच कराने की भी मांग की है। इसके अलावा परिसर में महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों के लिए शौचालय, जिन विभागों में 10 से कम छात्र है उन विभागों के अध्यापकों को अन्य विभागों से संबद्ध करने का भी अनुरोध किया है। पत्रक सौंपने वालों में अजय दुबे, सत्याजीत तिवारी, दीपक कुमार पांडेय सहित अन्य छात्र शामिल है।

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