कान में सनसनाहट तो हो जाएं सतर्क, ध्वनि प्रदूषण और ईयर फोन से हो सकती है परेशानी
यदि आपके कान में सनसनाहट हो रही है तो सावधान हो जाइए, कारण कि ध्वनि प्रदूषण, हेड व ईयर फोन का अधिक उपयोग अब लोगों के कान को नुकसान पहुंचाने लगा है।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव] । आपके कान में सनसनाहट हो रही है तो सावधान हो जाइए। कारण कि ध्वनि प्रदूषण, हेड व ईयर फोन का अधिक उपयोग अब कान को नुकसान पहुंचाने लगा है। इसको ध्यान में रखते हुए चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के नाक, कान व गला विभाग की ओर से जांच के लिए नई तकनीक की खोज की गई है, जिसका नाम 'टिनिटस हैंडीकैप इन्वेंटरी हिंदी' है। इस तकनीक का 100 मरीजों पर परीक्षण भी किया जा चुका है। यह शोध पिछले सप्ताह इंडियन जर्नल आफ ओटोलैरींगॉल में प्रकाशित हुआ।
25 प्रश्नों का बनाया गया स्केल : ईएनटी विभाग के डा. विश्वंभर सिंह, प्रो. राजेश कुमार, डा. आशुतोष अलख अविनाशी, अश्विनी कुमार चौधरी द्वारा ईजाद की गई इस तकनीक से दो वर्ष अध्ययन किया गया। डा. विश्वंभर सिंह के अनुसार 'टिनिटस हैंडीकैप इन्वेंटरी हिंदी' के तहत 25 प्रश्नों का 'कर्णक्ष्वेड अक्षमता' सूची तैयार की गई है। इस स्केल से कानों की सनसनाहट को और बारीकी से जानने में मदद मिल रही है। यह भी जांचा जा रहा है कि सनसनाहट क्या हो रही है?, मरीज के जीवन में इसका क्या प्रभाव पड़ता है? इस बीमारी का मूल कारण क्या है? इसके बाद अलग-अलग श्रेणियों में रख कर मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
80 फीसद मरीजों का सफल उपचार : पहले यह जांच अंग्रेजी में होती थी। इसके तहत डाक्टर मरीजों से पूछते थे, लेकिन अब पूछने की जरूरत नहीं पड़ती है। मरीज को यह सूची सौंप दी जाती है, जिसको वह विभिन्न क्षेणियों में भर तक डाक्टर को सौंपता है। डा. सिंह ने बताया कि ङ्क्षहदी स्केल से 80 प्रतिशत से अधिक मरीजों का उपचार सफल हो रहा है, जबकि अंग्रेजी तकनीक से यह आंकड़ा 40 प्रतिशत तक ही पहुंच पाता था।
क्या है टिनिटस हैंडीकैप इन्वेंटरी : यह कानों में होने वाली बीमारी मापने का स्केल है। इसी जांच के बाद चिकित्सक उपचार करते हैं।