बापू की प्रासंगिकता तभी, जब हम गांधीवाद को माने, स्वतंत्रता सेनानी प्रभु नारायण सिंह की जन्म शताब्दी पर संगोष्‍ठी

दुनिया के करीब डेढ़ सौ देशों में महात्मा गांधी के विचारों का अध्ययन किया जा रहा है। उनके विचारों पर शोध हो रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 11:02 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 01:43 PM (IST)
बापू की प्रासंगिकता तभी, जब हम गांधीवाद को माने, स्वतंत्रता सेनानी प्रभु नारायण सिंह की जन्म शताब्दी पर संगोष्‍ठी
बापू की प्रासंगिकता तभी, जब हम गांधीवाद को माने, स्वतंत्रता सेनानी प्रभु नारायण सिंह की जन्म शताब्दी पर संगोष्‍ठी

वाराणसी,जेएनएन। दुनिया के करीब डेढ़ सौ देशों में महात्मा गांधी के विचारों का अध्ययन किया जा रहा है। उनके विचारों पर शोध हो रहा है। दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में गांधी जी के उत्तराधिकारियों ने ही उनके विचारों की हत्या कर दी है। हिंद स्वराज जैसे गांधी जी के विचारों में देश का भविष्य व समाधान छिपा हुआ है। 

प्रखर समाजवादी व स्वतंत्रता सेनानी प्रभु नारायण सिंह की जन्म शताब्दी के समारोह मौके पर सोमवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ सभागार में आयोजित 'वर्तमान संकट और महात्मा गांधी' विषयक संगोष्ठी का यह निष्कर्ष रहा।

मुख्य अतिथि राज्य सभा के सांसद डा. मनोज झा ने कहा कि महात्मा गांधी के राम निराकार है। गांधी जी कहते थे कि रामनाम ईश्वर का नाम है। हम लोग परमात्मा को शिव, विष्णु, राम, अल्लाह, खुदा सहित अनंत नामों से पुकारते हैं। बापू की प्रासंगिकता तभी है जब हम गांधीवाद को माने। संकट यह है कि एक संसद गोडसे की तारीफ करते हैं और कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है। अफसोस यह है कि गांधी जी की तुलना वीर सावरकर से की जा रही है। इस दौरान उन्होंने धारा-370, बापू और भीड़ हिंसा, बापू और जवाहर लाल नेहरू व सरदार पटेल सहित अन्य मुद्दे पर विचार व्यक्त किया। विशिष्ट वक्ता विधि संकाय, बीएचयू के पूर्व संकाय प्रमुख अजय उपाध्याय, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य व वरिष्ठ पत्रकार जय शंकर गुप्ता ने कहा कि गोडसे ने महात्मा गांधी के शरीर की हत्या की। वहीं उनके उत्तराधिकारियों ने उनके विचारों की। महात्मा बुद्ध, कबीर जैसे संतों के विचारों के अपनाने के स्थान पर हम उन्हें भगवान बनाकर पूजनीय बनाए हुए हैं। कहा कि वीर सावरकर को गांधी के समकक्ष खड़ा करने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है। अध्यक्षता जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय (छपरा-बिहार) के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने की। इस मौके पर अतिथियों ने स्वतंत्रता सेनानी व लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, विजय नारायण, डा. सुरेंद्र प्रताप, कुंवर सुरेश सिंह, प्रो. राम प्रकाश द्विवेदी, राजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किया। स्वागत डा. विश्वास चंद्र श्रीवास्तव, संचालन प्रदीप कुमार व धन्यवाद ज्ञापन पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह ने किया। 

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