त्‍योहारी सीजन में बैकों में लटके ताले, 1000 करोड़ का कारोबार ठप, बैंकों के विलय का आंदोलनकारी कर रहे विरोध

दस बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के विरोध में मंगलवार को कर्मचारी हड़ताल पर रहे। आंदोलनकारियों ने भ्रमण कर कुछ बैंकों को बंद भी कराया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 01:32 PM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 04:53 PM (IST)
त्‍योहारी सीजन में बैकों में लटके ताले, 1000 करोड़ का कारोबार ठप, बैंकों के विलय का आंदोलनकारी कर रहे विरोध
त्‍योहारी सीजन में बैकों में लटके ताले, 1000 करोड़ का कारोबार ठप, बैंकों के विलय का आंदोलनकारी कर रहे विरोध

वाराणसी, जेएनएन। दस बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के विरोध में मंगलवार को कर्मचारी हड़ताल पर रहे। आंदोलनकारियों ने भ्रमण कर कुछ बैंकों को बंद भी कराया। हालांकि, उन बैंकों में विभागीय कार्य नहीं हो रहे थे। दो सौ बैंकों की शाखाओं पर ताले लटकने से एक हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार ठप रहा। विरोध प्रदर्शन में इलाहाबाद बैंक, बैंक आफ इंडिया, यूनियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, ओबीसी बैंक, केनरा बैंक, सिंडिकेट बैंक आदि कामर्शियल बैंकिंग सेक्‍टर के कर्मचारी शामिल हैं।

हड़ताल की पूर्व घोषणा के कारण इलाहाबाद बैंक स्टाफ एसोसिएशन समेत कई बैंकों के कर्मचारी सुबह ही सड़क पर उतर आए। नदेसर स्थित बैंक के मंडलीय कार्यालय के सामने दर्जनों की संख्या में कर्मचारी जुट गए। उसके बाद आंदोलनकारी बैंकों शाखाओं में पहुंचे जहां, ताले खुले रहे। वहां बैंकिंग कार्य नहीं हो रहा था, लेकिन आंदोलकानियों के पहुंचने पर ताला जरूर लटक गया। इलाहाबाद बैंक स्टाफ एसोसिएशन के उपसचिव  शीतला दुबे ने बताया कि आंदोलन में बैंकिंग इम्पलाई फेडरेशन आफ इंडिया, आल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन, बैंक इम्प्लाइज फेडरेशन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का समर्थन है। उन्होंने कहा कि बैंकों का विलय उचित निर्णय नहीं है।

सरकार कह रही कि बैंक के विलय से वित्तीय संस्थान मजबूत होंगे। पूर्व में हुए बैंकों के विलय नजीर हैं। बैंक विलय के निर्णय जमीन पर उतर नहीं सके हैं। दस बैंकों के विलय से बड़ी संख्या में शाखाएं बंद होंगी। कर्मचारियों के मनमाना स्थानांतरण किए जाएंगे। उन्होंने ग्राहकों की समस्या पर भी फोकस किया। बोले कई तरह के चार्ज वसूले जा रहे हैं। सुविधाओं में बढ़ोत्तरी नहीं की जा रही है। उन्होंने यह भी दावा किया अधिकारी संवर्ग का भी हमें समर्थन प्राप्त है। आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों को बचाने के उद्देश्य से बैंकों का विलय कर रही है। हालांकि, अधिकारी वर्ग समर्थन के बारे में खुले तौर पर बोलने से जरूर बचते रहे। आंदोलन में प्रदीप द्विवेदी, अमिताभ श्रीवास्तव, अनिल मिश्रा, संयम राय समेत बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे।

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