PNB के मैनेजर की हत्‍या के राजफाश के बाद बैंक अधिकारियों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगाया सवालिया निशान

पंजाब नेशनल बैंक के करखियांव शाखा प्रबंधक फूलचंद राम की हत्या के पांचवें दिन पुलिस ने भले ही मामले का राजफाश कर दिया है। लेकिन इस मामले में कई अनसुलझे तथ्य भी सामने हैं। जो पुलिस की कहानी और बैंक की थ्योरी में फिट नहीं बैठ रही हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 09:20 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 01:41 PM (IST)
PNB के मैनेजर की हत्‍या के राजफाश के बाद बैंक अधिकारियों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगाया सवालिया निशान
पुलिस की कहानी और बैंक की थ्योरी में फिट नहीं बैठ रही हैं।

वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। पंजाब नेशनल बैंक के करखियांव शाखा प्रबंधक फूलचंद राम की हत्या के पांचवें दिन पुलिस ने भले ही मामले का राजफाश कर दिया है। लेकिन इस मामले में कई अनसुलझे तथ्य भी सामने हैं। जो पुलिस की कहानी और बैंक की थ्योरी में फिट नहीं बैठ रही हैं। पुलिस का कहना है कि हत्या सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी) फंड को दोगुना करने के लिए किया गया है। इसे बैंक अधिकारी सिरे से खारिज कर रहे हैं। मामले के राजफाश के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस अधिकारियों को या तो सीएसआर फंड के विषय में जानकारी ही नहीं है या फिर ये मामले की लीपापोती कर रहे हैं। बैंकिंग सूत्रों की मानें तो जिस शाखा में 10 लाख रुपये से ज्यादा करेंसी रखने की क्षमता ही नहीं है। उस शाखा में 47 रुपये सीएसआर फंड के नाम पर कहां से आ गए। दूसरी बात सीएसआर फंड निकालने और इस्तेमाल करने का अधिकार शाखा प्रबंधक को क्या बैंक के जीएम और जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक को भी नहीं है। बैंक अधिकारियों ने तो यहां तक बताया कि सीएसआर फंड से संबंधित फैसले लेने का अधिकार केवल बैंक के कॉरपोरेट आफिस को है। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस कहां तक घटना की तह तक पहुंच सकी है।

क्या है सीएसआर फंड

सर्कुलर के मुताबिक निजी और सरकारी कंपनियां सीएसआर फंड से प्रत्यक्ष रूप से या अन्य कंपनी के साथ साझेदारी करके सोशल एक्टिविटीज शुरू कर सकती हैं। जिन कंपनियों की वार्षिक नेटवर्थ कम से कम 500 करोड़ रुपये या वार्षिक आय 1000 करोड़ रुपये या वार्षिक लाभ पांच करोड़ रुपये का हो, उनके लिए तीन साल के औसत मुनाफे का कम से कम दो फीसदी हिस्सा सीएसआर पर खर्च करना जरूरी है। यह कानून सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि भारत में कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों पर भी लागू होता है। इसके अलावा यह खर्च भारत में ही करना होता है। विदेशों में किए गए सामुदायिक लाभ के कार्य को सीएसआर का हिस्सा नहीं माना जाता है। इसका अधिकार केवल कंपनी के कॉरपोरेट आफिस को ही होता है।

बैंक की जांच पूरी होने तक के लिए निलंबित किया गया लिपिक

पीएनबी के डीजीएम राजेश कुमार ने बताया कि भले ही पुलिस की जांच में कोई भी बैंककर्मी संलिप्त नहीं पाया गया है, लेकिन बैंक की ओर से गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक करखियांव शाखा के लिपिक राहुल राम को निलंबित किया गया है। निष्पक्ष जांच के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। यदि लिपिक शाखा में जाएगा तो महत्वपूर्ण दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर सकता है। उधर, मड़ियाहूं शाखा के प्रबंधक दीपक राज से भी बिना सुरक्षा के 41 लाख रुपये लेने गए शाखा प्रबंधक फूलचंद राम को नकदी देने और बैंकिंग नियमों को दरकिनार करने के मामले में नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा गया है।

सीएसआर फंड दोगुना करने के लिए बैंक शाखा प्रबंधक की हत्या की बात बेबुनियाद है

सीएसआर फंड दोगुना करने के लिए बैंक शाखा प्रबंधक की हत्या की बात बेबुनियाद है। इस फंड से संबंधित कोई भी अधिकार बैंक के किसी भी स्थानीय अधिकारी को नहीं है।

प्रवीण कुमार झा, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक

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