जौनपुर के शाहगंज का चूड़ी मेला है अलबेला, नहीं होता किसी भी पुरुषों का प्रवेश

भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहरी हैं यह शाहगंज में विजय दशमी के एक सप्ताह बाद 155 वर्षों से आयोजित होने वाले चूड़ी मेले से देखा जा सकता है। आध्यात्म व आस्था के अद्भुत संगम के इस मेले में पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 05:23 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 05:23 PM (IST)
जौनपुर के शाहगंज का चूड़ी मेला है अलबेला, नहीं होता किसी भी पुरुषों का प्रवेश
जौनपुर के शाहगंज में लगे चूड़ी मेले में खरीदारी करती महिलाएं ।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह शाहगंज में विजय दशमी के एक सप्ताह बाद 155 वर्षों से आयोजित होने वाले चूड़ी मेले से देखा जा सकता है। आध्यात्म व आस्था के अद्भुत संगम इस अलबेले इस मेले में पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित होता है। कहा जाता है कि माता सीता सहेलियों संग यहां आकर खरीदारी की थीं। मेले की शुरुआत पंडित अनंतराम ने कराई थी। सात दिवसीय इस मेले का आयोजन इस बार कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए मंगलवार 26 अक्टूबर से होगा।

जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर शाहंगज नगर के चूड़ी मोहल्ले में लगने वाले इस मेले में पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से महिला-पुरुष दुकानदार अपने सामानों को बेचने पहुंचते हैं। खरीदारी के लिए महिलाएं भी बड़ी संख्या में जुटती हैं। मेला सप्ताह भर चलता है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस के जवान तैनात होते हैं। श्री रामलीला समिति लीला प्रमुख इंदूनाथ पांडेय उर्फ बैजू महाराज बताते हैं कि लंका पर विजय के बाद जब प्रभु श्रीराम भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ अयोध्या पहुंचे तो उसके बाद माता सीता अपनी सहेलियों के साथ इस मेले के शृंगार के सामानों की खरीदारी करने अयोध्या से पहुंची थीं। शुभ के प्रतीक इस मेले में क्षेत्र के अलावा अगल-बगल जनपद आजमगढ़, आंबेडकरनगर और सुल्तानपुर जनपद की महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचती हैं। मेले में कंगन, क्राकरी के बर्तन, सौंदर्य प्रसाधन, हैंडबैग, सैंडल-चप्पल के साथ ही कपड़े की दुकानें भी सजती हैं। कई दुकानदार तो ऐसे हैं जो पीढ़ियों से इस मेले में पहुंचकर अपने सामानों की बिक्री करते हैं। मेले में शरीक होने के लिए इस क्षेत्र की बेटियां भी अपने मायके पहुंचती हैं।

गंगा-जमुनी तहजीब का बन चुका है मिसाल

शाहगंज का यह शृंगार मेला कालांतर में गंगा जमुनी तहजीब का मिसाल बन चुका है। यहां हिंदू महिलाओं के अलावा बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं की सक्रिय सहभागिता दिखती हैं। वे भी इस अनोखे मेले में पहुंचकर जीभर खरीदारी तो करती हैं ही हैं ऐसे आयोजनों की खुले मन से सराहना भी करती हैं।

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