मंडुआडीह में 'बनारस' की ख्वाहिश अधूरी, नए साल में भी लोगों का इंतजार बरकरार

डीएलडब्ल्यू ( डीजल रेल इंजन कारखाना) की पहचान अब बीएलडब्लू (बनारस रेलवे इंजन कारखाना) से होने लगी है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से 13 सितंबर 2020 को हुई घोषणा के बावजूद मंडुआडीह स्टेशन नई पहचान बनारस को तरस रहा है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 03:49 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 03:49 PM (IST)
मंडुआडीह में 'बनारस' की ख्वाहिश अधूरी, नए साल में भी लोगों का इंतजार बरकरार
13 सितंबर 2020 को हुई घोषणा के बावजूद मंडुआडीह स्टेशन नई पहचान "बनारस" को तरस रहा है।

वाराणसी [श्रवण भारद्वाज]। डीएलडब्ल्यू ( डीजल रेल इंजन कारखाना) की पहचान अब बीएलडब्लू (बनारस रेलवे इंजन कारखाना) से होने लगी है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से 13 सितंबर को हुई घोषणा के बावजूद मंडुआडीह स्टेशन नई पहचान "बनारस" को तरस रहा है। फाइलें रेलवे की कारगुजारियों में ही उलझी हुई हैंं। नाम को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यात्री और सैलानियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी काशी में होने के बावजूद अंतराष्ट्रीय पटल पर लोग मंडुआडीह स्टेशन के नाम से अनजान थे। अमूमन नाम को लेकर भ्रमवश यात्रियों को इधर- उधर भटकना पड़ता है। ऑनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग में भी उन्हें परेशानी होती थी।

पूर्व रेल राज्यमंत्री के वादे की याद

यूं तो मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग समय- समय पर उठाई जाती रही है। लेकिन इसे मूर्तरूप देने का काम पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा ने किया। उन्होंने वर्ष 2014- 15 में रोहनिया स्थित ऐढे गांव में आयोजित एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने का वादा किया था। मनोज सिन्हा ने इस दिशा में मंत्रालय की स्वीकृति प्रदान करने के पश्चात राज्य और केंद्र को फ़ाइल बढ़ा दिया था। कैस बनारसी फाउंडेशन और जनजागृति समिति ने भी नाम बदलने की वकालत की थी। कैस बनारसी फाउंडेशन के सदस्य डॉ रत्‍नेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह जरूरी था। 

एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित सुविधाएं

मंडुआडीह स्टेशन पर यात्री सुविधाएं एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित हुई हैं। इस टर्मिनल स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के विशाल प्रतीक्षालय क्षेत्र, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग रूम, एसी लाउंज आदि सुविधाएं हैं। द्वितीय प्रवेशद्वार पर नयनाभिराम दृश्य यात्रियों को आकर्षित करता है। यहां सर्कुलेटिंग एरिया में हराभरा पार्क, फौहारा और विशाल प्रवेशद्वार खुद को एयरपोर्ट में होने का अहसास कराता है। सामान्य दिनों में यहां से 22 ट्रेनें विभिन्न रूटों के लिए प्रस्थान होती है। प्रतिदिन 14 हजार यात्रियों का दबाव रहता है।

बोर्ड लगते ही इंटरनेट मीडिया में हुआ था वायरल

मंडुआडीह स्टेशन जब बनारस का बोर्ड लगा था तो कईयों ने खूब सेल्फी लिया था और सरकार की ऐसी पहल का जोरदार स्वागत किया था। लेकिन, कुछ ही दिनों में बनारस से मंडुआडीह हो जाने पर लोगोंं मेंं मायूसी छा गयी।

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