जौनपुर में तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और लेखपाल को कारावास के आदेश पर रोक

स्थगन आदेश का उल्लंघन करने के मामले में सिविल जज मनोज कुमार यादव के केराकत तहसील के तत्कालीन एसडीएम सहदेव प्रसाद मिश्र तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविंद पटेल को एक-एक माह सिविल कारावास के आदेश पर जिला जज मदन पाल सिंह ने सोमवार को रोक लगा दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 09:07 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 09:07 PM (IST)
जौनपुर में तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और लेखपाल को कारावास के आदेश पर रोक
एक-एक माह सिविल कारावास के आदेश पर जिला जज मदन पाल सिंह ने सोमवार को रोक लगा दी।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। स्थगन आदेश का उल्लंघन करने के मामले में सिविल जज मनोज कुमार यादव के केराकत तहसील के तत्कालीन एसडीएम सहदेव प्रसाद मिश्र, तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविंद पटेल को एक-एक माह सिविल कारावास के आदेश पर जिला जज मदन पाल सिंह ने सोमवार को रोक लगा दी। निचली अदालत के आदेश को स्थगित करते हुए जिला जज ने सुनवाई की अगली तारीख पांच अक्टूबर नियत की है। सिविल जज ने विपक्षी गण को 15 सितंबर को अवमानना का दोषी पाते हुए सजा दी थी। विपक्षीगण ने सिविल जज का आदेश निरस्त करने के लिए जिला जज की अदालत में अपील दाखिल कर रखी है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उन्होंने निचली अदालत के आदेश को स्थगित कर दिया।

बता दें, केराकत तहसील क्षेत्र के चकतरी गांव निवासी जीत नारायन ने जरिए मुख्तार खास विजय कुमार शुक्ल की ओर से वाद प्रस्तुत किया था। मूल वाद जीत नारायन बनाम स्टेट में पारित निषेधाज्ञा आदेश का विपक्षीगण एसडीएम सहदेव प्रसाद मिश्र, तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविंद पटेल ने उल्लंघन किया है। हाईकोर्ट ने 26 जुलाई 2021 को मामला दो माह में निस्तारित करने का निर्देश दिया था। आवेदक का कहना है कि आराजी का भूमिधर व मालिक काबिज है। 10 अप्रैल 2007 को विपक्षीगण को नोटिस व सम्मन का तामीला पर्याप्त मांगते हुए स्थाई कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया था। इसमें विपक्षीगण को निर्देश दिया था कि संबंधित आराजी में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करें। न कोई रास्ता बनाए और न ही वादीगण के खेती करने में अवरोध डालें। आरोप है कि लेखपाल ने आदेश की छायाप्रति दिखाए जाने पर फेंक दी और मिट्टी व ईंट फेंकवाकर चकमार्ग बनवा दिया। इससे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ। सिविल जज ने आरोपितों को दोषी पाते हुए कारावास की सजा सुनाई थी।

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