बलिया में अब आक्सीजन कंसंट्रेटर से लैस होंगे गांवों के अस्पताल, जनपद के बाहर रहने वाले दिग्‍गजाें ने बढ़ाया हाथ

शहर ही नहीं अब गांवों के अस्पताल भी आक्सीजन कंसंट्रेटर से लैस होंगे। इसको लेकर सरकारी महकमा भले ही गंभीर नहीं है लेकिन गैर जनपदों में उच्च पदों पर आसीन बलियावासियों ने मुहिम छेड़ दी है। ऐसे दर्जन भर लोग हैं जो सहयोग के लिए आगे बढ़े हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 04:43 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 04:43 PM (IST)
बलिया में अब आक्सीजन कंसंट्रेटर से लैस होंगे गांवों के अस्पताल, जनपद के बाहर रहने वाले दिग्‍गजाें ने बढ़ाया हाथ
अब गांवों के अस्पताल भी आक्सीजन कंसंट्रेटर से लैस होंगे।

बलिया, जेएनएन। शहर ही नहीं, अब गांवों के अस्पताल भी आक्सीजन कंसंट्रेटर से लैस होंगे। इसको लेकर सरकारी महकमा भले ही गंभीर नहीं है, लेकिन गैर जनपदों में उच्च पदों पर आसीन बलियावासियों ने मुहिम छेड़ दी है। ऐसे दर्जन भर लोग हैं जो यहां की सुविधाओं में सहयोग के लिए आगे बढ़े हैं। अघैला निवासी मुरादाबाद डीआरएम निर्भय नारायण सिंह के नेतृत्व में उद्यमी व शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। ये सभी लोग बलिया के हैं। एक टीम बनाकर यहां की सुविधाओं को ठीक कराने के लिये सहयोग को ठाना है। इनका प्रयास होगा कि अस्पतालों में एक आक्सीजन कंसंट्रेटर के साथ सीएमओ की सलाह पर जरूरतमंद सामानों को उपलब्ध कराएंगे। सबने मिलकर आठ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सीएमओ को दे भी दिया है, जो आज पहुंच जाएगा।

यह हैं टीम के प्रमुख सदस्य

प्रभाकर सिंह (चिलकहर) कामर्शियल काम्प्लेक्स एण्ड रेस्टोरेंट कोलकाता, अभय सिंह (वीरपुरा) टांसपोर्टर एवं बेयर हाउस कोलकाता, प्रदीप सिंह (आदर्शनगर सागरपाली) बिल्डर एवं रियल स्टेट कोलकाता, परमेश्वर सिंह (बसंतपुर) टांसपोर्टर कोलकाता, रणवीर सिंह (छिब्बी) लोहा क्रॉसर मशीन राउरकेला व कोलकाता, डीबी सिंह (करिहरा) चीफ इंजीनियर रेलवे, प्रदीप सिंह (छाता) सीएमआईआर धनबाद के निदेशक।

ग्रामीण क्षेत्रों में ठप पड़ा सैनिटाइजेशन, बाहर से आने वालों की नहीं हो रही स्कैनिंग

कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान जनपद में बचाव के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए। ग्राम पंचायत स्तर तक पल्स आक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, फागिंग व स्प्रे मशीन की खरीद की गई। गांव से लेकर कस्बों तक सैनिटाइजेशन हुआ, बाहर से आने वालों की स्कैनिंग की गई, आक्सीजन का स्तर नापा गया। इससे संक्रमण रोकने में मदद मिली, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में उन उपकरणों का पता नहीं चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बचाव के प्रयास न के बराबर किए जा रहे हैं। सैनिटाइजेशन, स्कैनिंग सब ठप है। वहीं दूसरी ओर केंद्र ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत पहली किस्त की रकम पंचायतों के खातों में भेज दी है।

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