कैंसर पीड़ितों के परिजनों के लिए उम्मीद की किरण हैं बनारस के बबलू, ऐसे पूरा करते हैं संकल्प

वाराणसी के रहने वाले बबूल कुमार बिंद की जो कैंसर पीड़ितों और उनके परिवार के साथ हर कदम पर खड़े रहते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 16 Sep 2019 09:48 AM (IST) Updated:Mon, 16 Sep 2019 10:02 AM (IST)
कैंसर पीड़ितों के परिजनों के लिए उम्मीद की किरण हैं बनारस के बबलू, ऐसे पूरा करते हैं संकल्प
कैंसर पीड़ितों के परिजनों के लिए उम्मीद की किरण हैं बनारस के बबलू, ऐसे पूरा करते हैं संकल्प

रवि पांडेय, वाराणसी। पेशे से ड्राइवर सिगरा के रहने वाले राजू पर एक पुत्र और तीन पुत्रियों के साथ ही संयुक्त परिवार की जिम्मेदारी थी। जब उन्हें कैंसर हुआ तो सरकारी मदद से इलाज के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। ऐसे में सहायक के रूप में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बबलू कुमार बिंद ने भागदौड़ कर इनको तीन लाख रुपये बीएचयू में सरकारी मदद के रूप में दिलाए, जिससे काफी राहत मिली। ये एक मामला नहीं है। कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए बबलू लंबे समय से उनके साथ खड़े हो रहे हैं।

आमतौर पर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आया सामान्य परिवार हर तरह से टूट जाता है। सरकार की कुछ योजनाएं हैं, लेकिन लोगों को उसका पता ही नहीं है। ऐसे में बनारस के महमूरगंज के रहने वाले बबलू उनकी मदद को आगे आते हैं और न केवल सरकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं, बल्कि उसके लिए जरूरी भागदौड़ भी वह स्वयं करते हैं।

दरअसल, बबलू के पिता की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई थी, लेकिन कैंसर के कारण मां को खोने के बाद वह टूट गए। इसी के बाद उन्होंने ठाना कि जो उन्होंने सहा वह कोई और न सहे। तभी से यह सिलसिला शुरू हो गया। अब तक वह अपने खर्चे और भागदौड़ करके 250 से अधिक परिवारों को सरकारी मदद दिला चुके हैं और साथ ही उनको इस बीमारी से लड़ने की राह भी दिखाई है।

...और लिया संकल्प

अपने दर्द को साझा करते हुए बबलू बताते हैं कि मां को कैंसर से बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन चार वर्ष पहले हार गया। बीमारी में खर्च से बिल्कुल टूट गया और अंत में तो स्थिति ऐसी हो गई कि कब घर के एक-एक कर गहने बिक गए, पता ही नहीं चला। मां को खोने के गम को कैंसर से पीड़ित लोगों की मदद करने की ठान ली।

ऐसे पूरा करते हैं संकल्प

बबलू ने बताया कि मां के इलाज के दौरान मिलीं ठोकरों को याद करके संकल्प लिया कि अब जितना हो सकेगा, वह लोगों को इस लड़ाई से लड़ने में मदद करेंगे। तब से कोई पीड़ित उनसे संपर्क करता है या किसी के बारे में बबलू को पता चलता है तो वह उसकी मदद करते हैं।

अपने और अपनों के लिए तो हर कोई जीता है, लेकिन बहुत ही कम लोग होते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं। उनकी मदद के लिए खून-पसीना बहाते हैं, जिनसे उनका खून का रिश्ता तक नहीं होता। कुछ ऐसी ही कहानी है वाराणसी के रहने वाले बबूल कुमार बिंद की, जो कैंसर पीड़ितों और उनके परिवार के साथ हर कदम पर खड़े रहते हैं। वह अब तक 250 से ज्यादा लोगों को सरकारी सहायता दिला चुके हैं, ताकि इस बीमारी का सामना करने में उन्हें कुछ मदद मिल सके...

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