आजमगढ़ में सुबह चुनाव लड़ने पर अंजाम भुगतने की धमकी, शाम को गाड़ी से कुचलकर मार डाला
आजमगढ़ में परिवार में चाचा ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़े तो उसका अंजाम भतीजे को भुगतना पड़ा। विपक्षियों ने युवक को पहले गाड़ी से टक्कर मारी फिर उसके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। युवक को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
आजमगढ़, जेएनएन। परिवार में चाचा ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़े तो उसका अंजाम भतीजे को भुगतना पड़ा। विपक्षियों ने युवक को पहले गाड़ी से टक्कर मारी फिर उसके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। युवक को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से आधी रात में तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर ने वाराणसी रेफर कर दिया। हॉस्पिटल के बाहर निकलने के दौरान ही युवक की सांसें कमजोर पड़ गईं। गुस्साए स्वजन शव को लेकर घटनास्थल पर चले गए और अंतिम संस्कार से पहले एसपी को मौके पर बुलाने की मांग करने लगे, लेकिन समझाने पर मान गए। महराजगंज पुलिस पीड़ित पिता की तहरीर पर छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच में जुट गई है।
महराजगंज थाना क्षेत्र के कुड़ही गांव निवासी प्रिंस (20) उर्फ विट्टू पुत्र राजेंद्र प्रसाद के चाचा राकेश यादव ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़े थे। यहां के निर्वतमान ग्राम प्रधान अनिल यादव के खेमे को यह बात नागवार गुजरी तो आपा खो बैठे। पीड़ित पिता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि निवर्तमान ग्राम प्रधान अनिल का भतीजा अमन यादव व उसका भाई संजय यादव मंगलवार की सुबह हमारे घर आया था। उन्होंने प्रिंस को धमकी दी कि चुनाव हम हारे तो अंजाम भुगतने को तैयार रहना। शाम चार बजे प्रिंस गांव स्थित बंधे (चट्टी) गया था। आरोप है कि संजय कार से पांच लोगों को लेकर बंधे पर धमक पड़ा। उसने कार में बैठे लोगों को उतारा तो सभी लाठी-डंडा लिए हुए थे। प्रिंस कुछ समझ पाता कि संजय ने उसे गाड़ी से टक्कर मारकर गिरा दिया। प्रिंस ने भागने की कोशिश की तो लाठी-डंडा लिए संजय के साथियों ने घेर लिया। इसी बीच संजय ने उसके ऊपर फिर से गाड़ी चढ़ा दी। हो-हल्ला मचा तो बचाव में लोग दौड़े, लेकिन हमलावर कार में सवार होकर भाग निकले। पुलिस ने निवर्तमान ग्राम प्रधान अनिल यादव, संजय यादव, जगत, रवि निवासी ग्राम कुड़ही और अमरनाथ यादव निवासी ग्राम नौबरार तुर्क चारा के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बैंकाक में रहता था प्रिंस, खींच लाई नियति
प्रिंस बैंकाक में रहकर कपड़े का कारोबार करता था। वर्ष 2020 में कोरोना के कारण लाॅकडाउन लगने की आशंका हुई तो अपने घर आ गया। उसमें मेधा की कोई कमी तो थी नहीं, चाचा के स्कूल का प्रबंधन देखने लगा। उसके सरल नेचर के कारण गांव में अलग पहचान थी। उसकी बात लोग सुनते एवं समझते थे। यही बात विपक्षियों में चुनाव को लेकर कई तरह की आशंकाएं खड़ी कर रही थी, जिसका अंत खौफनाक निकला।
टूट गई शीला और राजेंद्र के बुढ़ापे की लाठी
मां शीला, बड़ी बहन शिप्रा और छोटी बहन वर्तिका का बिलखना देख लोक कांप उठे। राजेंद्र यादव तो मानो बुत बने थे। उनका चेहरा ही सबकुछ कह रहा था। उन्हें चेतना में लाने के लिए पास-पड़ोस के लोगों को बार-बार झकझोरना पड़ रहा था। आंखों में आंसू नहीं थे, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सूख चुके हों। लाजिमी भी कि ईश्वर से मिन्नतें मांगने के बाद भगवान ने शीला की गोद भरी थी। बड़ी बेटी विवाह के बाद विदा हुई तो प्रिंस सहारा बना था, लेकिन प्रिंस का अचानक छोड़कर चला जाना परिवार पर वज्रपात के समान था।
सख्ती से बात बिगड़ी तो पुलिस ने प्यार से सुलझाया मामला
पुलिस विभाग का एक अधिकारी लगता है कि सरकार की छवि खराब करने पर ही आमादा है। महराजगंंज में प्रिंस का शव एक स्कूल में रखकर ग्रामीण एसपी के पहुंचने की मांग करने लगे थे। उनमें महराजगंज थाने के प्रभारी, एक एसआइ और दीवान के प्रति नाराजगी थी। पुलिस को भनक लगी तो भारी फोर्स मौके पर जा पहुंची। वहां नेतृत्व कर रहे एक व्यक्ति को उठाकर पुलिस लाने लगी तो भीड़ उग्र हो गई। हालात हाथ से फिसलता देख पुलिस ने पैर पीछे खींच लिया। प्यार से काम लिए तो पीड़ित परिवार के लोग मान गए और शव का अंतिम संस्कार करने पर भी राजी हो गए। ग्रामीणों का कहना था कि पुलिस का एक अधिकारी जनता को सिर्फ लाठी से हांकना चाहता है। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है।