बदलते मौसम में बीमारियों को आयुर्वेद करेगा परास्त, कुछ इस तरह मिल सकता है आराम

इस मौसम में ये सभी परेशानियां होने का मुख्य कारण है ऋतु में बदलाव। मौसम में परिवर्तन के कारण पित्त प्रकुपित हो जाता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 16 Sep 2019 09:19 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 01:29 PM (IST)
बदलते मौसम में बीमारियों को आयुर्वेद करेगा परास्त, कुछ इस तरह मिल सकता है आराम
बदलते मौसम में बीमारियों को आयुर्वेद करेगा परास्त, कुछ इस तरह मिल सकता है आराम

वाराणसी, जेएनएन। इस मौसम में हर दूसरा व्यक्ति मौसमी बुखार, जुकाम, सीने में जलन से परेशान है। वहीं अधिकांश को ऐसा महसूस हो रहा है कि बुखार है लेकिन थरमामीटर में शरीर का तापमान सामान्य आ रहा है। ऐसी स्थिति में क्या करेंगे। अधिकांश चिकित्सक जांच करा कराकर परेशान हो जाते हैं क्योंकि जांच में कुछ आ नहीं रहा है। आखिर ये समस्या है क्या और कैसे होगा निवारण। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार ने बताया इस मौसम में ये सभी परेशानियां होने का मुख्य कारण है ऋतु में बदलाव। मौसम में परिवर्तन के कारण पित्त प्रकुपित हो जाता है। यही प्रकुपित पित्त शरीर में गर्मी, बुखार जैसा महसूस होना, अत्यधिक दुर्बलता, खट्टी डकार और सीने में जलन जैसी बीमारियों का कारण होता है।

क्या करना चाहिए इस ऋतु में

पित्त दोष की वृद्धि करने वाले खट्टी, खारी एवं तीखी वस्तुओं का त्याग करना चाहिए। गाय का घृत और दूध, पित्त-दोष का नाशक व उत्तम शामक हैं। इनका सेवन अधिक करना चाहिए। खीर, रबड़ी आदि खाना लाभप्रद है। इस ऋतु में अनाज में गेहूं, जौ, च्वार, धान, सामा आदि मधुर रस वाले द्रव्यों को लेना चाहिए। फलों में अंजीर, पके केले, अनार, नारियल, पका पपीता, मौसमी, नींबू आदि लिया जा सकता है। खुली चांदनी रात में बैठना एवं घूमना लाभप्रद है।

इनका करें त्याग

क्षार, दही, खट्टी छाछ, तेल, चर्बी, गरम-तीक्ष्ण वस्तुएं, खारे -खट्टे रस वाली चीजें नहीं खाना चाहिए।

कुल्थी, प्याज, लहसुन, इमली, हींग, पुदीना, तिल, मूंगफली, सरसों आदि पित्तकारक होने से इनका त्याग करें।

दिन में सोना, धूप का सेवन, अति परिश्रम, अधिक कसरत एवं पूर्व दिशा से आने वाली वायु इस मौसम में नुकसानदेह है।

आयुर्वेद एवं घरेलू उपाय

मुनक्का, सौंफ एवं धनिया मिलाकर बनाया गया शर्बत पित्त विकारों का शमन करता है।पित्त के  शमन के लिए आंवला चूर्ण, अविपत्तिकरचूर्ण या त्रिफला चूर्ण लें। इस मौसम में आंवले को शक्कर केसाथ खाना चाहिए। ये उत्तम पित्तशामक होते हैं।परवाल पंचामृत, उशीरासव, सरिवरिष्ट जैसी औषधियां भी पित्त को शांत करती हैं लेकिन इनका प्रयोग वैद्य की सलाह से ही करें।

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