Asia का सबसे बड़ा गांव ऐसे दे रहा कोरोना वायरस को मात, जानिए क्‍या है राज

Uttar Pradesh के गाजीपुर का गहमर गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव कहलाता है। इस गांव के लोग सूझबूझ से सभी मिलजुल कर कोरोना को मात देने में जुटे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 12:17 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 02:35 PM (IST)
Asia का सबसे बड़ा गांव ऐसे दे रहा कोरोना वायरस को मात, जानिए क्‍या है राज
Asia का सबसे बड़ा गांव ऐसे दे रहा कोरोना वायरस को मात, जानिए क्‍या है राज

गाजीपुर [सर्वेश कुमार मिश्र]। उप्र के गाजीपुर का गहमर गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव कहलाता है। 1 लाख 25 हजार की आबादी है। ढाई सौ प्रवासी मजदूर लौटे हैं। सूझबूझ से सभी मिलजुल कर कोरोना को मात देने में जुटे हैं। गांव के 27 हजार (12 हजार सेवारत, 15 हजार सेवानिवृत्त) पुरुष सैनिक हैं। किसान भी हैं, श्रमिक भी और पेशेवर भी। गांव में विकास की बह रही गंगा और बदली जीवन शैली दुनिया के लिए सीख है।

ग्रामीणजन जानते हैं कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाकर वे कोरोना को मात दे सकते हैं, सो गांव के उत्तर-पूर्वी छोर पर गंगा के किनारे सुबह व्यायाम करते हैं। शारीरिक दूरी का अनुपालन करते हुए कुछ को व्यायाम तो कुछ को योग रास आ रहा है। यहां पर योग पाठशाला भी है, जहां लोग योगासन सीखते हैं और अभ्यास करते हैं। आरोग्य सेतु एप पर सुझाए गए उपायों का पालन कर रहे हैं। क्या खाया-पीया जाए कि इम्युनिटी बढ़े, उपाय साझा करते हैं। 

काम-धंधा शुरू करने को बुन रहे ताना-बाना

कोरोना महामारी के बीच यहां ढाई सौ प्रवासी मजदूर दूसरे प्रांतों से वापस लौटे। 100 से अधिक क्वारंटाइन हैं। जबकि करीब 60 लोग मनरेगा और बन रही सड़क पर श्रम कर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी की जुगत कर रहे हैं। कुछ ने सब्जी या अन्य वस्तुओं की दुकान खोल ली है, तो कई काम-धंधा शुरू करने को ताना-बाना बुन रहे हैं।

गाजीपुर मुख्यालय से करीब 35 किमी की दूरी पर स्थित यह गांव यूपी व बिहार की सीमा पर गंगा किनारे वर्ष 1530 में बसा था। गांव में टेलीफोन एक्सचेंज, रेलवे स्टेशन, मैरेज हाल, पोस्ट आफिस, तीन बैंक, चार एटीएम, दो डिग्री कॉलेज, दो इंटर कॉलेज, एक बालिका इंटर कॉलेज, दो जूनियर हाईस्कूल, नौ प्राथमिक विद्यालय, सीएचसी और पशु चिकित्सालय हैं। बड़ी बात यह कि गांव जितना बड़ा है और आबादी जितनी अधिक है, बावजूद इसके लोगों के बीच संवादहीनता नहीं है। वे मिलजुल कर हर बात तय करते हैं। जैसे कि इस समय कोरोना से इनकी लड़ाई चल रही है। स्वस्थ रहें और कोरोना को मात दें, यही इनका मूलमंत्र है। सभी ने तय किया है कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और स्वच्छता का हरसंभव ध्यान रखेंगे। 

इनका यह कहना है...

रिटायर्ड जवान रणविजय सिंह बताते हैं कि  दुश्वारियों के साथ उम्मीद के दीये जलते हैं। सकारात्मक सोच ही जीवन में बदलाव ला सकती है। ग्राम प्रधान मीरा चौरसिया का कहना है कि प्रवासी मजदूर को मनरेगा में काम मिलेगा। कोरोना से निबटने को गांव में तमाम उपाय किए जा रहे हैं। योग भी इसी कड़ी में है। योग गुरु डॉ. बुद्धनारायण उपाध्याय ने कहा कि पतंजलि योग पीठ की तरफ से योग की पाठशाला लंबे समय से चल रही है। कोरोना के बाद और जागरूकता आई है।

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