बीएचयू में व्यावहारिक कला विभाग के कार्यक्रम में जुड़े देश-विदेश के कला विज्ञानी

मुख्य वक्ता ‘इशारा पपेट थियेटर ट्रस्ट’ के जन्मदाता पद्मश्री दादी पुदुमजी ने कहा कि स्कूली व उच्च शिक्षण संस्थानों में इसको एक विषय एवं कोर्स के तौर पर चलाना चाहिए। उन्होंने इस दौरान कठपुतलियों के इतिहास वर्तमान व भविष्य पर अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों को प्रदर्शित किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 09:56 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 09:56 PM (IST)
बीएचयू में व्यावहारिक कला विभाग के कार्यक्रम में जुड़े देश-विदेश के कला विज्ञानी
कठपुतलियों के इतिहास, वर्तमान, व भविष्य पर अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों को प्रदर्शित किया।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ‘भारतीय कला, शिल्प और धरोहर’ विषय पर चल रही  अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी में दूसरे दिन लोक शिल्प कलाओं और धरोहरों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय शिक्षा पद्धति में शामिल किए जाने की मांग उठी। बतौर मुख्य वक्ता ‘इशारा पपेट थियेटर ट्रस्ट’ के जन्मदाता पद्मश्री दादी पुदुमजी ने कहा कि स्कूली व उच्च शिक्षण संस्थानों में इसको एक विषय एवं कोर्स के तौर पर चलाना चाहिए। उन्होंने इस दौरान कठपुतलियों के इतिहास, वर्तमान, व भविष्य पर अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों को प्रदर्शित किया।

वाक्सन विश्वविद्यालय, हैदराबाद के वाइस चांसलर डा. राउल वी रॉट्रग्रुऐज ने दूसरे दिन की संगाोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कहा कि आज वैश्विक रूप से भारतीय कला, शिल्प, धरोहरों को वैश्विक पहचान मिल रही है। उसको और सुदृढ़ एवं सशक्त बनाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों को आगे आना होगा। इसमें पब्लिक, प्राइवेट संस्थानों का ज्यादा योगदान होना चाहिए। इसके बाद विशेषज्ञों के बीच भारतीय कला और उसके वर्तमान स्वरूप को वैश्विक पहचान एवं जनमानस में उसके उपयोग को लेकर गंभीर चर्चा हुई। इसमें मुख्य रूप से प्रो. मृदुला सिन्हा, प्रो. मदनलाल गुप्ता, डा. प्रदोष मिश्र आदि थे। अनेक शिक्षकों, शोधकर्ताओं एवं व्यावसायिक लोगों ने उत्कृष्ट शोधपत्रों द्वारा भारतीय-शिल्प कला एवं धरोहर के विभिन्न आयामों, कारीगरों के उत्कृष्ट कार्यों, डिजिटल प्लेटफार्म की भूमिका, टाइपोग्राफी डिजाइन इनोवेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लाक चेन सिस्टम आदि विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किया।

इटली के कलाकार गियानल्यूका वेगनेरली ने धरोहरों के ऊपर की वैश्विक योजनाओं के बारे बताया। डिर्पाटमेंट आफ डिजाइन इनोवेशन, जामिया मीलिया विश्वविद्यालय के प्रो. फरहत बशीर खान ने कला, शिल्प एवं धरोहरों को आधुनिक तकनीकों से और सुदृढ़ बनाने तथा उसमें डिजाइन और इनोवेशन के नए आयामों को जोड़ने पर बल दिया। आयोजन में बीएचयू के डा. शांतिस्वरूप सिन्हा, सहायक अध्यापक हिस्ट्री आफ विजुअल आर्ट एंड डिजाइन विभाग, डा. उत्तमा दीक्षित चित्रकला विभाग, डा. सुरेशचंद्र जांगीड चित्रकला विभाग, डा. राजीव मंडल हिस्ट्री आफ विजुअल आर्ट एंड डिजाइन विभाग, डा. जसमींदर कौर टेक्सटाइल, चित्रकला विभाग, डा. महेश सिंह, सुरेश नायर चित्रकला विभाग का सहयोग रहा। संचालन व्यावहारिक कला विभाग के डा. मनीष अरोरा तथा अध्यक्षता स्कूल आफ आर्ट एंड डिजाइन वाक्सन विश्वविद्यालय हैदराबाद की अदिति सक्सेना ने किया।

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