DRDO : सेना ने 360 घंटे में दी कोरोना से मुक्ति की संजीवनी, वाराणसी में तैयार कर दिया 750 बेड का अस्पताल

DRDO Hospital in Varanasi सेना ने अपनी ख्याति के अनुरुप 360 घंटे में इसे कर दिखाया। बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में पखवारे भर के अंदर जर्मन हैंगर पर पंडाल खड़ा किया। इसे भारी-भरकम अस्पताल का रूप दिया। बेड-वेंटीलेटर आक्सीजन दवा आदि का इंतजाम किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 01:20 PM (IST)
DRDO : सेना ने 360 घंटे में दी कोरोना से मुक्ति की संजीवनी, वाराणसी में तैयार कर दिया 750 बेड का अस्पताल
बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में बना डीआरडीओ का कोविड अस्‍पताल

वाराणसी, जेएनएन। DRDO Hospital in Varanasi अस्पताल स्पेशियलिटी के हों या सामान्य, इसे बनाने में साल-दो साल लग जाते होंगे, लेकिन आपदा काल में सेना ने अपनी ख्याति के अनुरुप 360 घंटे में इसे कर दिखाया। बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में पखवारे भर के अंदर जर्मन हैंगर पर पंडाल खड़ा किया। इसे भारी-भरकम अस्पताल का रूप दिया। बेड-वेंटीलेटर, आक्सीजन, दवा आदि का इंतजाम किया। खुद अपने डाक्टरों-पैरामेडिकल स्टाफ को लगाया तो स्थानीय प्रशासन का सहयोग लिया। इसके साथ ही 750 बेड पर इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कर दिया। सोमवार को इसमें 250 आइसीयू बेड पर भर्ती भी शुरू कर दी गई। जरूरत अनुसार सभी बेड पर भर्ती करने के लिए तैयार होने का संकेत भी दे दिया जिसे आपदा काल में संजीवनी से कम नहीं कहा जा सकता।

दरअसल, लगभग बीस दिन पहले जब संक्रमण की दर काफी तेज थी। अस्पतालो में न तो बेड थे और आक्सीजन तक का संकट था। कह सकते हैं जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी। ऐसे समय में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र के अफसरों व जनप्रतिनिधियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की। स्थिति को जाना समझा और हर एक को कोरोना से जंग में लग जाने का निर्देश दिया। इसके दूसरे ही दिन देश की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्य करने वाली अग्रणी संस्था रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने बनारस में समस्त सुविधाओं व संसाधनों से युक्त कोविड अस्पताल बनाने की घोषणा कर दी।

डीआरडीओ के अफसरों से स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय के लिए बैठक की और पखवारे भर में काम को अंजाम दे दिया गया। इसमें सेना के सेवानिवृत्त व कार्यरत डाक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ लगाए गए तो बीएचयू आइएमएस की मदद ली। राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी डाक्टरों, नर्स के साथ ही ईसीजी, पैथालाजी व रेडियोलाजी जांच के लिए टेक्नीशियन की संविदा भर्ती की गई। सीटी स्केन समेत बड़ी जांच के लिए नजदीकी रेडियोलाजी व पैथालाजी केंद्रों से सरकारी दर पर जांच के लिए अनुबंध भी किया गया है। अभी इनकी संख्या पांच ही है, लेकिन जरूरत अनुसार इन्हें बढ़ाने का भी संकेत दिया है। इसमें मरीजो की निश्शुल्क जांच व चिकित्सा तो होगी ही खानपानव दवा आदि का इंतजाम भी मुफ्त होगा। इसमें गंभीर मरीजों की भर्ती कोविड कमांड कंट्रोल के जरिए ही की जाएगी जो रेफरल केस होंगे।

मनमानी पर उतारु संवेदनहीन अस्पतालों पर शिकंजा कसने का दिया संकेत

आपदा के पीक दिनों में अस्पतालों की मनमानी भी खूब सामने आई थी। प्राथमिक जांच में ही प्रशासन के सामने आया कि संकट काल में किसी तरह उपलब्ध कराया गया कोटे का आक्सीजन निर्धारित बेड पर न देकर लंबी-चौड़ी बिल वाले मरीजों पर खर्च किए गए। सामान्य मरीजों से भी मनमाने रुपये लिए गए। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने धैर्य का परिचय दिया लेकिन अब अस्थायी कोविड अस्पताल सक्रिय हो जाने से कह सकते हैं कि प्रशासन वेंटीलटर के मामले में आत्म निर्भर हो गया है। अब उसके पास निजी से कहीं अधिक वेंटीलेटर वाले बेड हो गए हैं तो आक्सीजनयुक्त बेड की संख्या भी बड़ गई है। एेसे में रविवार को सीएम की समीक्षा बैठक के ठीक बाद अस्पतालों पर सख्ती का संकेत भी दे दिया गया। साफ शब्दों में बता दिया गया कि अब निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए दर तय की जाएगी।

इसे बाहर ही डिस्प्ले भी करना होगा ताकि मरीज अपना बजट देख कर आकलन कर ले, यहां इलाज कराए या सरकारी अस्पताल में चला जाए। दरअसल, अब तक सरकारी छह व निजी 51 अस्पतालों को मिला कर आक्सीजन युक्त बेड की संख्या 2149 थी। इसमें सरकारी अस्पतालों के पास सिर्फ सात सौ बेड ही थे। अब अस्थायी कोविड हास्पिटल के 750 बेड बढ़ने के साथ राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में 200, एलबीएस हास्पिटल व नवनिर्मित महिला अस्पताल में 50-50 बेड बढ़ाए जा रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमितों का इलाज सरकारी संसाधनों से किया जा सकेगा।

अस्पताल के जरिए पं. राजन मिश्र को श्रद्धांजलि

अस्थायी कोविड अस्पताल के जरिए डीआरडीओ ने बनारस व आसपास के जिले के मरीजों को इलाज की संजीवनी तो दी ही इसे ख्यात शास्त्रीय गायक पं. राजन मिश्र को समर्पित कर श्रद्धांजलि भी दे दी। हास्पिटल का नाम पं. राजन मिश्र अस्थायी कोविड अस्पताल रखा गया है। दरअसल, प्रसिद्ध गायक पं. राजन की 25 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उन्हें जरूरत पर तत्काल वेंटीलेटर न मिल सका था। उनकी अंत्येष्टि तो दिल्ली में ही कई गई लेकिन अस्थियां यहां गंगा में विसर्जित की गईं। बनारस घराने की शान पंडित राजन मिश्र छोेटे भाई पं. साजन मिश्र व पुत्रों के साथ चार दशक से दिल्ली में रहते थे। बनारस आना-जाना लगा रहता था तो होली, कृष्ण जन्माष्टमी व नवरात्र तो तय था। कोरोना संकट के कारण अबकी नवरात्र न होली में उनका आना तो न हो सका था, लेकिन फरवरी में बनारस आने पर उन्होंने अब यहीं बस जाने का संकेत दिया था। इसके लिए कबीरचौरा स्थित पैतृक आवास नए सिरे से सजाया-संवारा जा रहा था।

chat bot
आपका साथी