काशी विद्यापीठ और संस्कृत विवि में फंसी अध्यापकों की नियुक्तियां, कुलपतियों का मई माह में कार्यकाल हो रहा पूरा

वर्तमान सत्र में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकों नियुक्तियां होने की संभावना काफी कम है। दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का तीन साल का कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है। ऐसे में दोनों विश्वविद्यालयों में फिलहाल अध्यापकों की नियुक्तियां फंस गईं हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 09:37 AM (IST)
काशी विद्यापीठ और संस्कृत विवि में फंसी अध्यापकों की नियुक्तियां, कुलपतियों का मई माह में कार्यकाल हो रहा पूरा
वर्तमान सत्र में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकों नियुक्तियां होने की संभावना काफी कम है।

वाराणसी, जेएनएन। वर्तमान सत्र में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकों नियुक्तियां होने की संभावना काफी कम है। दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का तीन साल का कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है। वहीं तीन माह पहले नीतिगत फैसले लेने के अधिकार पर रोक लगना तय है। ऐसे में दोनों विश्वविद्यालयों में फिलहाल अध्यापकों की नियुक्तियां फंस गईं हैं।

संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकों के रिक्त 73 पदों के लिए जनवरी-2019 में ही आवेदन मांगे गए थे। इसमें 11 प्रोफेसर, छह एसोसिएट प्रोफेसर व 60 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल थे। वहीं अब तक महज 16 अध्यापकों की नियुक्तियां हो सकी हैं। अगस्त 2020 में दोबारा चयन प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन राजभवन के आदेश पर साक्षात्कार अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया। दोबारा साक्षात्कार की तिथि घोषित करने के लिए विश्वविद्यालय को राजभवन के आदेश का इंतजार है। वहीं दूसरी ओर काशी विद्यापीठ में अध्यापकों के 73 पदों के लिए जुलाई 2020 में आवेदन मांगे गए थे। इसमें 16 प्रोफेसर, 13 एसोसिएट प्रोफेसर व 44 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल हैं। इसके बावजूद अब तक चयन प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है। अध्यापकों की नियुक्ति चयन प्रक्रिया पूरी करने में करीब तीन माह का समय लग जाता है। साक्षात्कार के लिए विशेषज्ञों का चयन, अभ्यर्थियों को सूचना देना, कार्यपरिषद से अनुमोदन तक की लंबी प्रक्रिया है। वहीं काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह का चार मई को व संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल का कार्यकाल 24 मई को खत्म हो रहा है। ऐसे में फरवरी में नीतिगत फैसला लेने पर रोक लग जाएगा। हालांकि राजभवन की अनुमति से नियुक्ति की जा सकती है। दोनों विश्वविद्यालयों के अध्यापकों का कहना है कि अब वर्तमान सत्र में नियुक्ति संभव नहीं है। अब आने वाले कुलपति ही नियुक्ति कर सकते हैं। बहरहाल दोनों विश्वविद्यालयों में करीब 700 से अधिक अभ्यर्थियों की निगाहें अब भी नियुक्ति प्रक्रिया पर टिकी हुईं हैं।

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