अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने जताई हत्या की आशंका, संदेह की सुई केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति पर
विरोधी तत्वों ने स्व. सोनेलाल पटेल की हत्या कराई अब मेरी करा सकते हैं यह कहना है अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल का। उन्होंने शासन और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। परेडकोठी स्थित पर्यटक आवास गृह में शुक्रवार को प्रेसवार्ता में पत्रकारों के समक्ष व्यथा सुनाईंं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने संपत्ति विवाद में अपनी हत्या का अंदेशा जताया। संदेह की सुई छोटी बेटी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया के पति पर घुमाते हुए शासन और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई हैं। कहा कि विरोधी तत्वों ने जिस तरह स्व. सोनेलाल पटेल की हत्या की है, उसी तरह मेरे और कार्यकर्ताओंं के साथ घटना हो सकती है। स्व. सोनेलाल के प्रकरण में साजिश से पर्दा उठाने के लिए उन्होंंने सीबीआइ जांच की मांग की थी, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। परेडकोठी स्थित पर्यटक आवास गृह में शुक्रवार को आयोजित एक प्रेसवार्ता में उन्होंंने पत्रकारों के समक्ष अपनी व्यथा सुनाईंं।
भाजपा गठबंधन के लिए बना रही दबाव
कृष्णा पटेल ने आरोप लगाया कि संपत्ति की लालच में छोटी पुत्री ओर उनके पति कुचक्र रच रहे हैं। संपत्ति के लिए लगातार उन पर कई वर्षों से दबाव बनाया जा रहा है। कहा कि उनकी चल और अचल संपत्ति स्व. सोनेलाल और उनके द्वारा अर्जित की गई है। इस पर किसी दूसरे का हक नहीं है। उन्होंने बताया कि छोटी बेटी नादान है, उसे बरगलाया जा रहा है। कहा कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में पारिवारिक कलह के कारण बिखराव हो सकता है। उन्होंने छोटी बेटी द्वारा पल्लवी पटेल के खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन किया। बताया कि सत्तारूढ़ भाजपा उन्हें गठबंधन करने पर मजबूर करने का दबाव बना रही है। सच्चाई यह है कि एमएलसी आशीष पटेल अपना दल को तोडऩे की कोशिश कर रहे हैं और सरकार के इशारे पर वह एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।
आशीष ने की अपना दल तोड़ने की कोशिश
कृष्णा पटेल ने आरोप लगाया कि एमएलसी आशीष पटेल की निगाह शुरू से ही उनकी संपत्ति पर थी। अपना मंसूबा पूरा नहीं होता देख उन्होंने पहले भाजपा से मिलकर उन्हें कमजोर करने की कोशिश की, फिर अपना दल को तोड़ने की कोशिश की। जब उन्हें रोका गया तो उन लोगों ने अपना दल (एस) के नाम से अलग पार्टी बना ली। उक्त पार्टी का पंजीकरण मेरे साथ रहते हुए भी चुपके से जवाहरलाल पटेल को अध्यक्ष दिखाते हुए करा लिया गया था, बाद में आशीष खुद उसके अध्यक्ष बन बैठे।