न्यायालय के आदेश पर वाराणसी में रियल स्टेट कंपनी शाइन सिटी के खिलाफ एक और एफआइआर दर्ज

रियल स्टेट कंपनी शाइन सिटी के संचालकों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर कैंट थाने में गुरुवार को धोखाधड़ी व अमानत में खयानत के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया। कंपनी के विभिन्न योजनाओं में 37 लोगों ने तीन करोड़ रुपए वर्ष 2018 से 2019 के बीच निवेश किया था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 10:08 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 10:08 PM (IST)
न्यायालय के आदेश पर वाराणसी में रियल स्टेट कंपनी शाइन सिटी के खिलाफ एक और एफआइआर दर्ज
रियल स्टेट कंपनी शाइन सिटी के संचालकों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। रियल स्टेट कंपनी शाइन सिटी के संचालकों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर कैंट थाने में गुरुवार को धोखाधड़ी व अमानत में खयानत के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया। आरोप है कि कंपनी के विभिन्न योजनाओं में 37 लोगों ने लगभग तीन करोड़ रुपए वर्ष 2018 से 2019 के बीच निवेश किया था। कंपनी के जेपी मेहता सेंट्रल जेल रोड स्थित आफिस के बंद होने के बाद लोगों को ठगी की जानकारी हुई। स्थानीय पुलिस व उच्चाधिकारियों से गुहार के बाद भी नतीजा सिफर रहा। इसके बाद भुक्तभोगियों ने न्यायालय में गुहार लगाई तो मुकदमा दर्ज हुआ।

गौरतलब है कि कंपनी के खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर व वाराणसी के कैंट थाने में करोड़ों रुपये हड़पने के लगभग 45 मामले दर्ज हैं। सिंधौरा निवासी अजीत कुमार मिश्रा ने वर्ष 2017 मई से नवम्बर 2019 के बीच अपने अलावा अपने अन्य परिचितों के लगभग 65 लाख रुपये निवेश कराए थे। कंपनी से तय समय अवधि पूरी होने पर मिले चेक बैंक में लगाने पर बाउंस हो गए। इसी प्रकार पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों से कुल लगभग 37 लोगों ने कंपनी की विभिन्न योजनाओं में लगभग तीन करोड़ रुपये का निवेश किया था। न्यायालय के आदेश पर कंपनी के निदेशकों रसीद नसीम, आसिफ नसीम, अमिताभ श्रीवास्तव अरविंद कुमार पाल व अजय कुमार चौबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस जांच में जुट गई है। वहीं ईओडब्लू भी शाइन सिटी से जुड़े मामलों की जांच कर रही है।

पांच मुकदमों में पुलिस ने लगा दी थी अंतिम रिपोर्ट

राजनीति के साथ पुलिस और प्रशासन में आरोपितों की पैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके खिलाफ पूर्व में दर्ज पांच मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई थी। इसका मतलब यह हुआ कि पुलिस को उनके खिलाफ कोई आरोप सही नहीं मिले थे। उन पांचों मुकदमों की फिर से विवेचना का आदेश पुलिस आयुक्त ने दिया था। यह भी बताए जाने के लिए कहा था कि पूर्व में विवेचकों को आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई साक्ष्य क्यों नहीं मिले थे। पीडि़तों की बातों को सिर से क्यों खारिज कर दिया।विदेश से भी आया था एफआइआर के लिए मेलनीलगिरी इंफ्रासिटी कंपनी के खिलाफ मामला उस समय अंतरराष्ट्रीय हो गया था जब देश के विभिन्न प्रांतों के निवेशकों के अलावा विदेश के निवेशक भी धोखाधड़ी के शिकार हुए। कुवैत दूतावास से भी कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के लिए पुलिस को मेल मिला था। शिकायत कर्ता अफरोज पत्नी उस्मान सिद्दीकी ने इस संबंध में मांग की थी। पुलिस आयुक्त का कहना है कि आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं।

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