वाराणसी के अन्नपूर्णा मंदिर में चार दिन होगा स्वर्णमयी रूप का होगा दर्शन, दो से पांच नवंबर तक आयोजन

प्रत्येक वर्ष धनतेरस से शुरू होने वाली स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन इस वर्ष 2 नवंबर से से शुरू होगा जो 5 नवंबर अन्नकूट पर्व तक चलेगा। दर्शन-पूजन और आयोजन के संदर्भ में गुरुवार को बांसफाटक स्थित श्रीकाशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट के सभागार में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 01:33 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:22 PM (IST)
वाराणसी के अन्नपूर्णा मंदिर में चार दिन होगा स्वर्णमयी रूप का होगा दर्शन, दो से पांच नवंबर तक आयोजन
आयोजन के बारे में जानकारी देते श्रीकाशी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी

जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रत्येक वर्ष धनतेरस से शुरू होने वाली स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन इस वर्ष 2 नवंबर से (धनतेरस पर्व) से शुरू होगा जो 5 नवंबर अन्नकूट पर्व तक चलेगा। दर्शन-पूजन और आयोजन के संदर्भ में गुरुवार को बांसफाटक स्थित श्रीकाशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट के दूसरी शाखा के सभागार में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। जिसमें महंत शंकरपुरी ने बताया कि इस वर्ष भी पूरा विश्व कोरोना महामारी लड़ रहा। बाबा विश्वनाथ और मां भगवती के आशीर्वाद व्यवस्थाएं धीरे-धीरे पटरी पर आ गई है। हालांकि खतरा अभी टला नहीं है। उन्हीने बताया कि धनतेरस दिन 2 नवंबर से शुरू हो रहे स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन के दौरान कोविड-19 के बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करवाते हुए भक्तों को दरबार में प्रवेश दिया जाएगा।

भक्त मन्दिर के प्रथम तल पर स्थित माता के दर्शन करेंगे। गेट पर ही माता का खजाना और लावा वितरण भक्तों में किया जाएगा। केवल प्रथम दिन ही भक्त पीछे के रास्ते से राम मंदिर परिसर होते कालिका गली से निकास दिया जाएगा। मन्दिर प्रबन्धक काशी मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में जगह-जगह वालेंटियर तैनात किए जाएंगे। थर्मल स्कैनिंग और हैंड सेनेटाइजेशन के बाद भक्तों को माता के दरबार में प्रवेश दिया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भक्तों को प्रवेश दिया जाएगा।  सुरक्षा की दृष्टी से मन्दिर परिसर में दो दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। मेडिकल की व्यवस्था की भी रहेगी। स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का छोटी दीपावली से अन्नकूट पर्व तक के दर्शन भोर में 4 बजे से रात्रि 11 बजे तक होगा। वीआइपी समय शाम 5 से 7 रहेगा। वृद्ध और दिव्यांगों के लिए दर्शन की सुगम व्यवस्था रहेगी। प्रेसवार्ता के दौरान प्रो रामनरायण द्विवेदी समेत मन्दिर परिवार सदस्य मौजूद रहे ।

बाबा विश्वनाथ के काशी वास से पहले ही देवी अन्नपूर्णा हो चुकी थीं विराजमान

देवाधिदेव महादेव के आंगन में सजे मां अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार की प्रतिष्ठा का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि इसमें बाबा स्वयं याचक रूप में खड़े हैं। मान्यता है बाबा अपनी नगरी के पोषण के लिए मां की कृपा पर आश्रित हैं। उपलब्ध इतिहास पर गौर करें तो बाबा विश्वनाथ के यहां वास से पहले ही देवी अन्नपूर्णा विराजमान हो चुकी थीं। वर्ष 1775 में जब बाबा विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब पार्श्‍व भाग में देवी अन्नपूर्णा का मंदिर मौजूद था। माता की स्वर्ण प्रतिमा अपने आप में अनूठी है। रजत शिल्प में ढले शिव बाबा की झोली में अन्नदान करती अन्न दात्री की कमलासन पर ठोस सोने की मूर्ति व दायीं ओर मां लक्ष्मी और वाम भाग में भूदेवी की भी स्वर्ण प्रतिमा विराजमान है। साल में चार दिन दर्शन उत्सव के दौरान धान का लावे, बताशा संग मां का खजाना (सिक्का) वितरण की परंपरा है। अन्य दिनों में मंदिर गर्भगृह में स्थापित सामान्य प्रतिमा की दैनिक पूजा की जाती है।

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