अनंत चतुर्दशी पर श्रीहरि की आराधना के साथ ही अनंत सूत्र धारण करने का विधान

व्रत पर्व : अनंत चतुर्दशी व्रत इस बार 23 सितंबर रविवार को किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 23 सितंबर की भोर 4.56 बजे लग रही है जो 24 सितंबर को सुबह 6.36 बजे तक रहेगी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 04:23 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 04:54 PM (IST)
अनंत चतुर्दशी पर श्रीहरि की आराधना के साथ ही अनंत सूत्र धारण करने का विधान
अनंत चतुर्दशी पर श्रीहरि की आराधना के साथ ही अनंत सूत्र धारण करने का विधान

वाराणसी [प्रमाेद यादव] : सनातन धर्म में भाद्र शुक्ल चतुर्दशी पर किया जाने वाला व्रत अनंत चतुर्दशी व्रत इस बार 23 सितंबर रविवार को किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 23 सितंबर की भोर 4.56 बजे लग रही है जो 24 सितंबर को सुबह 6.36 बजे तक रहेगी। इस लिहाज से चतुर्दशी उदया तिथि में दोनों ही दिन मिल रही है लेकिन शास्त्र अनुसार अनंत चतुर्दशी पर भगवान अनंत का पूजन मध्याह्न में किया जाता है। ऐसे में सौभाग्य कामना का यह पर्व 23 सितंबर को मनाया जाएगा। 

ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस दिन अनंत भगवान विष्णु का पूजन-व्रत का महत्व है। इस व्रत को करने से धन-धान्य पुत्र पौत्रादि समेत हर तरह के सुखादि की प्राप्ति होती है। तिथि विशेष पर व्रतीजनों को प्रात: स्नानादि कर संकल्प लेना चाहिए। इसमें मेरे सभी तरह के पापों का क्षय के साथ ही शुभ फल की वृद्धि व भगवान अनंत विष्णु के प्रित्यर्थ अनंत चतुर्दशी व्रत करेंगे या करूंगी। इस तरह संकल्प कर निवास स्थल को स्वच्छ व सुशोभित करना चाहिए। चौकी आदि को मंडप स्वरूप में बनाकर भगवान के सात फणों वाली शेष स्वरूप मूर्ति स्थापित करें।

उनके सामने 14 गांठ का अनंत दोरक रखें और आम्र पल्लव एवं गंध, पुष्प, दीप, नैवेद्यादि से पूजन करें। इसमें पंचामृत, पंजीरी, केला और मोदक आदि का प्रसाद अर्पण करें फिर श्रीहरि की आराधना कर भगवान अनंत की कथा श्रवण व अनंत धारण करें। इस प्रकार 14 वर्ष व्रत करें और नियत अवधि बाद चतुर्दशी को उद्यापन करें। इस व्रत को करने से जीवन में कुछ भी पाना असंभव नहीं होता और अंत में श्रीहरि का सायुज्य के साथ ही वैकुंठ में स्थान मिलता है।

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