विश्व अंगदान दिवस : दूसरों की जान बचाने संग समाज को कुशल डाक्टर देता है अंग और देहदान

अंग दान देकर जहां आप किसी की जान बचाते हैं वहीं मृत्यु के बाद शरीर दान से मानवता का भी कल्याण होता है। इससे समाज को कुशल डाक्टर मिलते हैं। कारण कि एक अच्छा डाक्टर बनने के लिए मानव शरीर की संरचना समझना बहुत जरूरी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 12 Aug 2021 01:40 PM (IST) Updated:Thu, 12 Aug 2021 01:40 PM (IST)
विश्व अंगदान दिवस : दूसरों की जान बचाने संग समाज को कुशल डाक्टर देता है अंग और देहदान
एक अच्छा डाक्टर बनने के लिए मानव शरीर की संरचना समझना बहुत जरूरी है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। अंग दान देकर जहां आप किसी की जान बचाते हैं वहीं मृत्यु के बाद शरीर दान से मानवता का भी कल्याण होता है। इससे समाज को कुशल डाक्टर मिलते हैं। कारण कि एक अच्छा डाक्टर बनने के लिए मानव शरीर की संरचना समझना बहुत जरूरी है। इसके लिए छात्र मृत शरीर का गहन अध्ययन करते हैं। यानी चिकित्सा विज्ञान में पठन-पाठन के लिए मृत्यु के बाद शरीर दान आवश्यक हो जाता है। देवतुल्य व्यक्ति मृत्यु के बाद शरीर दान करते हैं तो वे अच्छे डाक्टर बनाने में किसी शिक्षक जितना ही सहयोग करते हैं। अगर अंग प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) किए जाने लायक हो तो उनसे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। विश्व अंगदान दिवस हरसाल 13 अगस्त को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इंसान को मृत्यु के बाद अंगदान या देहदान की मात्र प्रतिज्ञा दिलाने के लिए प्रोत्साहित करना है। तो आइए हम प्रतिज्ञा लें कि यह नेक कार्य कर हम मनावता की भलाई कर सके। आप चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के शरीर रचना विभाग में देहदान करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

...ताकि एक साल तक कोई भी कर सकते अंतिम दर्शन : देहदान की प्रक्रिया बहुत सरल है। 10 रुपये के स्टांप पेपर पर स्वैच्छित दान का प्रपत्र व्यक्ति अपने जीवित रहते ही बना सकते हैं। ताकि उनकी मृत्यु के बाद उनके परिजन यह महान दान कर सके। एक वर्ष तक शवगृह में दान किया गया शरीर सुरक्षित रखा जाता है ताकि कोई भी अंतिम दर्शन कर सके। एक वर्ष बीतने के पर ही छात्र उस शरीर पर अंक संरचना व सर्जरी सीखते हैं।

बाल या नाखुन से अंतिम संस्कार : जब परिजन देह को विभाग में देते हैं तो उन्हें शव का एक छोटा सा भाग जैसे बाल या नाखुन सौंप दिया जाता है। इसे अंतिम संस्कार के लिए व्यक्ति के धार्मिक विश्वास के अनुसार परिवार को सौंप दिया जाता है। पार्थिव शरीर को विभाग में सौंपने के बाद विभागाध्यक्ष या प्रभारी गैर शिक्षण शवगृह द्वारा हस्ताक्षरयुक्त पावती मृत व्यक्ति के संबंधी को दिया जाता है।

प्राकृतिक मौत के आठ घंटे के अंदर दें सूचना : प्राकृतिक मौत के मामले में मृत शरीर की जानकारी आठ घंटे के अंदर संबंधित विभाग को देनी होती है। इसके लिए आइएमएस, बीएचयू के अनाटमी (शरीर रचना) विभाग में कार्य दिवस के दौरान सुबह आठ से शाम 4.30 बजे और गैर कार्य दिवस पर शाम 4.30 से सुबह आठ बजे तक संपर्क किया जा सकता है।

यह घोषणा, मेरे पार्थिव शरीर को : 10 रुपये के स्टांप पर शरीर दान के लिए घोषणा अनुरोध भरा जाता है, उनके लिए जो उनसे संबंधित होते हैं। इसमें यह घोषणा की जाती है, यह कामना है कि मेरे पार्थिव शरीर को शरीर रचना विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान-बीएचयू या निकटतम चिकित्सा विज्ञान संस्थान को सुपुर्द कर दिया जाए। मेरे मृत शरीर को चिकित्सा, शिशा एवं अनुसंधान की प्रगति के लिए जो भी तरीका सबसे अधिक लाभकारी हो उसका उपयोग किया जाएं।।

इस नंबर पर कर सकते हैं संपर्क : 9839808692, 7275748495, 9415685827, 9450545650 व 9454732189

बोले अधिकारी : लोग ही ऐसे दानवीर होते हैं, जो शरीर या अंग दान करते हैं। शरीर दान दिवस पर लोगों से अपील है कि यह महान दान समाज कल्याण के लिए करें। साथ ही अपने परिवार से आग्रह करें कि मृत्यु के बाद शरीर चिकित्सा विज्ञान संस्था को दान कर दिया जाए। तीन साल में 73 लोगों का देहदान हुआ है। दो सप्ताह में ही तीन लोगों ने देहदान किया है। इससे लगता है कि अब लोगों में जागरूकता बढ़ी है। - प्रो. रोयना सिंह, विभागाध्यक्ष, शरीर रचना विभाग, आइएमएस-बीएचयू। 

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