महंगाई डायन ने उठाया सिर : कीमतों में लगी आग, लोगों की थाली से दूर हुई सब्जियां Varanasi news
परिवहन खर्च अधिक होने से भी उछाल तीन दशक से सब्जी व्यवसायी दिलीप सोनकर ने बताया कि सब्जिया महंगी होने का मुख्य कारण झुलसा देने वाली गर्मी है।
वाराणसी, जेएनएन। 'आलू, टमाटर, भिंडी.. सब्जी ले लो सब्जी..'। सब्जी वाले ने जैसे ही आवाज लगाई मोहल्ले की औरतें उसके पास आकर जम गई लेकिन दाम सुनकर उनके पांव ठिठक गए। अंत में मिसेज सहगल से नहीं रहा गया तो पड़ोसन मिसेज भटनागर से बोलीं कि सब्जियों के दाम तो आसमान छू रहे हैं। कुछ दिन यही हाल रहा तो सब्जी बनाना-खाना ही बंद हो जाएगा। जी हां, यह बिल्कुल सच है। यह समस्या केवल मिसेज सहगल की ही नहीं, वरन पूरे शहर की है। हरी सब्जिया इस कदर महंगी हो गई हैं कि फलों की कीमतों को टक्कर दे रही हैं। झुलसा देने वाली गर्मी के कारण सब्जियों के भावों ने आग उगलना शुरू कर दिया है।
30 से 35 रुपए मिलने वाला परवल भी 55 से 60 रुपये किलो मिल रहा है। जबकि फलों के राजा आम की कीमत भी 55 से 60 रुपये के बीच है। लोग सब्जियों के भाव सुनकर यही कहते दिख रहे हैं कि सब्जियों से अच्छा है कि फल खरीदकर खाओ। एक सप्ताह के अंदर टमाटर, शिमला मिर्च, नेनुआ, लौकी सहित एक दर्जन सब्जियों की कीमत में आग लग गई। जून के अंतिम सप्ताह व जुलाई के पहले सप्ताह तक अधिकतर सब्जिया 30 से 40 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही थीं।
परिवहन खर्च अधिक होने से भी उछाल तीन दशक से सब्जी व्यवसायी दिलीप सोनकर ने बताया कि सब्जिया महंगी होने का मुख्य कारण झुलसा देने वाली गर्मी है। अधिकतर सब्जी बनारस के आस-पास के क्षेत्र से आती है। हालत यह है कि खेत में ही सब्जी सूख कर खराब हो जा रही हैं। जो सब्जी दुकान पर आ गई है उसे बचाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। वहीं परिवहन खर्च अधिक होने से गाजर और खीरा के कीमतों में उछाल आया है क्योंकि दोनों नासिक से आ रहा है।
सब्जी | पहले | अब |
टमाटर | 35 से 40 | 55 से 60 |
शिमला मिर्च | 40 | 55 से 60 |
नेनुआ | 30 से 35 | 35 से 40 |
परवल | 30 से 40 | 55 से 60 |
भिंडी | 20 से 25 | 35 से 40 |
लौकी | 25 से 30 | 35 से 40 |
प्याज | 25 से 30 | 35 से 40 |
आलू | 16 से 18 | 20 से 22 |
धनिया | 250 से 260 | 280 से 300 |