Akshay Tritiya 2021: काशी विश्वनाथ मंदिर में लगेगा रजत फव्वारा, नटवर नागर का होगा चंदन श्रृंगार
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तद्नुसार 14 मई को अक्षय तृतीया के मान विधान के तहत भक्तों में काशी विश्वनाथ दरबार में बाबा का जलधरी (फव्वारा) की फुहार से शीतल श्रृंगार किया जाएगा। सनातन गौड़ीय मठ में नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण का चंदन पुष्प श्रृंगार किया जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। धर्म-अध्यात्म व शास्त्र पुराण ब्रह्म और जीव के बीच चाहे जितना भी विशाल अंतर क्यों न बताएं, लेकिन जब यही ब्रह्म लौकिक रूप में जब काशीपुराधिपति बाबा और नंदलाल बन कर भक्तों के मन आंगन में उतर जाते हैं तो आत्मीय हो जाते हैं। ब्रह्म तब अगम-अगोचर नहीं रह जाता, वह श्रद्धा-भक्ति पगे हाथों लोटा भर जल से नहाता है, माखन-मिसिरी खाता है। लीलाएं दिखाता है, खुद नाचता है और भक्तों को भी झूमने पर विवश कर जाता है।
जीव जगत को तारक मंत्र देकर आवागनमन के बंधनों से मुक्ति देने वाले देवाधिदेव और जिद पर आते ही इंद्रदेव तक को चुनौती देने वाले कान्हा तक को इस भावलोक में उतर जाने पर शीत लगती है और उष्णता का दंश भी सताता है। परमेश्वर के इसी रूप माया की डोर में बंधे श्रद्धालुओं ने गर्मी की तपिश को देखते हुए काशीपुराधिपति बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की तरावट के लिए जलधरी की फुहार की व्यवस्था की है तो नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण को पूरे 21 दिन तक चंदन की शीतलता का इंतजाम किया है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तद्नुसार 14 मई को अक्षय तृतीया के मान विधान के तहत भक्तों में काशी विश्वनाथ दरबार में बाबा का जलधरी (फव्वारा) की फुहार से शीतल श्रृंगार किया जाएगा।
मंगला आरती से पहले इससे ही अभिषेक कर गर्भगृह तर किया जाएगा। परंपरा अनुसार सावन मास की पूर्णिमा तक यह सिलसिला जारी रहेगा। इस बीच वैशाख व जेठ की तपिश से बाबा को राहत दिलाने के लिए पूरे दिन जलधरी से जल की बूंदें टपकती रहेंगी और शीतलता प्रदान करती रहेंगी। इस उद्देश्य से पर्व विशेष से दो दिन पहले बुधवार को ही श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार के गर्भगृह में रजत जलधरी लगा दी गई। खास यह कि इस बार गंगा जल सीधे इसमें आएगा। इसके लिए निर्माणाधीन कारिडोर की कंपनी पीएसपी ने पंप-पाइप लगाकर जलधरी का अस्थायी टंकी से कनेक्शन कर दिया है। पहले इसके लिया दो सेवादारों की ड्यूटी लगाई जाती थी जो रजत कलश में जल लाकर टंकी में भरते थे।
सनातन गौड़ीय मठ में 15 से शुरू होगा 21 दिनी अनुष्ठान
उधर, शहर के दूसरे छोर पर स्थित सोनारपुरा स्थित सनातन गौड़ीय मठ में नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण का चंदन पुष्प श्रृंगार किया जाएगा। तिथियों के फेर से पर्व 15 मई से मनाया जाएगा। इसमें दोपहर बाद प्रभु को नए वस्त्र पहनाए जाएंगे। चार-पांच घंटे तक रच-रच कर चंदन के लेप लगाए जाएंगे। फूलों से मुकुट, हार बाजूबंद और करधनी बनाई जाएगी और नटवर वेश सजाया जाएगा। भगवान फूलों के सिंहासन पर विराजेंगे और मंदिर का कोना-कोना नाना प्रकार के फूलों की सुवास से महमह कर उठेगा। श्रीभक्ति चारु गोविंद महाराज के अनुसार अलग-अलग रुपों में श्रृंगार अनुष्ठान 21 दिन तक चलेगा।
इस विशेष श्रृंगार के पीछे कथा है कि प्राचीन काल में माधवपुरी नाम के श्रीकृष्ण प्रेमी भक्त थे जो 84 कोस ब्रजमंडल के अंतर्गत विभिन्न श्रीकृष्ण लीला भूमि में दर्शन परिक्रमा करते थे। एक बार गिरिराज परिक्रमा के दौरान उन्हें नींद आ गई। स्वप्न में प्रभु ने श्री विग्रह की सेवा -पूजा का आदेश दिया। कालांतर में शीतलता के लिए जगन्नाथपुरी से मलयज चंदन लाकर श्रृंगार के लिए भी कहा। इसकी शुरुआत अक्षय तृतीया से की गई तभी से इस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है।