वाराणसी में एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंचा 300 के करीब, वायु प्रदूषण ने दो दिन में लगाई सेंचुरी

सड़कों पर धूल मिट्टी और वाहनों के धुएं से शहर का दम फिर से घुटने लगा है। इस समय प्रदूषित हवा स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती थी। बनारस में प्रदूषण फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 292 हो गया।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 08:27 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 08:27 PM (IST)
वाराणसी में एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंचा 300 के करीब, वायु प्रदूषण ने दो दिन में लगाई सेंचुरी
ड़कों पर धूल, मिट्टी और वाहनों के धुएं से शहर का दम फिर से घुटने लगा है।

वाराणसी, जेएनएन। सड़कों पर धूल, मिट्टी और वाहनों के धुएं से शहर का दम फिर से घुटने लगा है। इस समय प्रदूषित हवा स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती थी। बनारस में प्रदूषण फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 292 हो गया। यह दीपावली से भी ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस आने वाले हैं। ऐसे में यह अधिकारियों के लिए भी चिंता का विषय है। सोमवार को प्रदूषण का स्तर 266 था और वहीं रविवार को यह महज 192 पर था। आंकड़ों पर गौर करें तो महज दो ही दिन में काशी की शुद्ध हवा में 100 अंक की गिरावट दर्ज की गई। अर्दली बाजार से लेकर महावीर मंदिर, नरिया से हैदराबाद गेट, मंडुआडीह से लहरतारा, लंका से सामनेघाट, पांडेयपुर से पहडिय़ा व लालपुर और गौदोलिया से चौक व बेनियाबाग मार्ग हर जगह धूल व वाहन के धुंओं का अंबार है। कई वाहन व मोटर साइकिल से तो मानक से बहुत ज्यादा प्रदूषण का उत्सर्जन हो रहा है, मगर ट्रैफिक पुलिस और प्रदूषण बोर्ड शिथिलता बरत रहा है। वहीं बीएचयू कैंपस में भी नए निर्माण होने से भी धूल की समस्या काफी बढ़ गई है।

मंगलवार को हवा में पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व की मात्रा अधिकतम 381 और पीएम 10 प्रदूषक कणों की मात्रा 431 रही।  वातावरण में ओजोन की मात्रा बढ़कर 273 और नाइट्रोजन आक्साईड 165 पर पहुंच गया।

डस्टबिन में ही जला देते हैं कूड़ा, शरीर में प्रवेश करते हैं प्रदूषक

पर्यावरणविद एकता शेखर ने बताया कि सड़कों की बदतर हालत, खुले में कचरा व पराली जलाने से भी प्रदूषण को बढ़ावा मिला है। डस्टबिन में ही कूड़ा जला दिया जाता है। ठंडी हवा में जले कूड़े से निकले प्रदूषक तत्व शरीर में पहुंच रहे हैं। कई बार जो नगर निगम इन्हें रोकने की बात करता है, मगर ठीक निस्तारण न होने से जगह-जगह पर कर्मचारी  खुद कचरे को जलाना पसंद करते हैं।

प्रदेश के प्रमुख शहरों में प्रदूषण की स्थिति

गाजियाबाद - 428

नोएडा -  398

बागपत -  392

ग्रेटर नोएडा - 385

लखनऊ - 342

मेरठ - 351

मुज्जफरनगर - 341

कानपुर - 331

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