बलिया जिले में तीन साल बाद गेटमैन हत्याकांड के राज से पर्दा हटने की जगी आस

गेटमैन शैलेश तिवारी हत्याकांड के पर्दाफाश की आस तीन साल बाद जग गई है। जीआरपी प्रभारी मार्कण्डेय यादव ने बुधवार को घटना से जुड़े गवाहों से लंबी पूछताछ की। इसमें टीम को अहम सुराग मिले जिसके आधार पर हत्यारों तक पहुंचना आसान हो गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 07:10 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 07:10 AM (IST)
बलिया जिले में तीन साल बाद गेटमैन हत्याकांड के राज से पर्दा हटने की जगी आस
गेटमैन शैलेश तिवारी हत्याकांड के पर्दाफाश की आस तीन साल बाद जग गई है।

बलिया, जेएनएन। गेटमैन शैलेश तिवारी हत्याकांड के पर्दाफाश की आस तीन साल बाद जग गई है। जीआरपी प्रभारी मार्कण्डेय यादव ने बुधवार को घटना से जुड़े गवाहों से लंबी पूछताछ की। इसमें टीम को अहम सुराग मिले, जिसके आधार पर हत्यारों तक पहुंचना आसान हो गया है। सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले कुछ दिनों में ही हत्याकांड का राज खुल जाएगा।

6 फरवरी 2018 की रात चित्तु पांडेय रेलवे क्रासिंग पर तैनात गेटमैन शैलेश तिवारी (38) निवासी भटनी की बदमाशों ने डंडे व रॉड से पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में सहायक स्टेशन अधीक्षक राजू राय की तहरीर पर रेलवे पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।

यह हुई थी घटना

घटना की रात करीब सवा 9 बजे डाउन पवन एक्सप्रेस के आने की सूचना पर गेटमैन ने क्रासिंग बंद कर दी। बाइक सवारों से क्रासिंग खोलने को लेकर विवाद हो गया था। कुछ लोगों के बीच बचाव से मामला शांत हाे गया। इसकी जानकारी उन्होंने सहायक स्टेशन अधीक्षक राजू राय को दी थी। रात करीब पौने दस बजे छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस बलिया स्टेशन पर पहुंची तो गेट बंद करने के लिए सहायक स्टेशन अधीक्षक ने केबिन मैन को फोन किया। बहुत देर तक घंटी बजने के बाद भी फोन नहीं उठने पर वह रेल कर्मचारी इंद्रजीत को लेकर वहां पहुंच गए। गेटमैन लहूलुहान हालत में कुर्सी पर पड़ा मिला था। वाराणसी इलाज के लिए ले जाते समय उसकी रास्ते में मौत हो गई थी।

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